Sunday, January 16, 2022

तुम्हारा आना

 



तुम्हारा आना

नयनों का लजाना

बातों का बिसराना

याद आ गयीं

वो बिसरी सी बातें

मीठी सी मुलाकातें

 

पुराने दिन

कॉलेज का ज़माना

तेरा खिलखिलाना

कैसे भूलेंगे

वो खिलन्दड़ापन

वो चुहलबाजियाँ

 

आओ फिर से

महफ़िल सजाएं

हँस लें मुस्कुराएँ

न जाने फिर

ऐसे सुन्दर दिन

कभी आयें न आयें  

 

आ जाओ साथी

खुशियाँ फिर जी लें

सुख मदिरा पी लें

चूक न जाएँ

दो दिन का जीवन 

हँस हँस के जी लें !

 

साधना वैद



सोदोका विधा में एक रचना 


13 comments:

  1. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (18-1-22) को "दीप तुम कब तक जलोगे ?" (चर्चा अंक 4313)पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
    --
    कामिनी सिन्हा

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    1. हार्दिक धन्यवाद कामिनी जी ! आपका बहुत बहुत आभार ! सप्रेम वन्दे !

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  2. तुम्हारा आना बढ़िया रचना |भावपूर्ण अभिव्यक्ति |

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  3. सोदोका विधा के बारे में बताएं कृपया.

    अपने हिस्से की ख़ुशी
    वक़्त रहते समेट लें.

    सुंदर प्रफुल्ल भाव.

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    1. हार्दिक धन्यवाद नूपुरम जी ! बहुत बहुत आभार !

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  4. बहुत ही सुंदर भाव!
    आपकी रचना पढ़ कर मुझे कुछ पंक्तियाँ सूझी 👇
    तुम्हारा आना,बसंत के आने जैसा है!
    उफ्फ वो नयनों का लजाना,
    बिना कहे बहुत कुछ कह जाना!
    जो शब्दों में न बयां हो सकें वो एहसास दे जाना!

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    1. बहुत सुन्दर पंक्तियों का सृजन किया आपने ! बहुत बहुत धन्यवाद मनीषा जी ! हृदय से आभार आपका !

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    1. हार्दिक धन्यवाद तिवारी जी ! बहुत बहुत आभार आपका !

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  6. आदरणीया दीदी आपकी रचना मन को भा गई। बहुत ही सुन्दर सार्थक सृजन। हृदय स्पर्शी

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    1. हार्दिक धन्यवाद अभिलाषा जी ! बहुत बहुत आभार आपका !

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  7. यादों की मृदुल छांव में बैठे अनुरागरत हृदय की बहुत ही प्यारी मनुहार 👌👌 बहुत मोहक और भावपूर्ण प्रस्तुति 👌👌

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    1. हार्दिक धन्यवाद रेणु जी ! बहुत बहुत आभार आपका !

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