Saturday, July 9, 2022

आज का सच


 


मुख्यमंत्री जी के बप्पा जी की मूर्ति का

धूमधाम से अनावरण कराना था

चौराहे पर मूर्ति को लगे हुए

बीत चुका लंबा ज़माना था

कभी सहयोगी बिदक जाते

तो कभी कोर्ट कचहरी के केस

आड़े आ जाते

कोरोना का तो बस कमज़ोर सा बहाना था !

जैसे तैसे इस बार मुहूर्त निकला तो

लो फिर से आफतें आ गयीं

आधे विधायक दूसरी पार्टी में चले गए

बाकी को अविश्वास प्रस्ताव लाना था !

भाई की घूसखोरी ने कुर्सी खींची

तो जनता के लबों पर

बेटे के कुकृत्यों का फ़साना था !

बप्पा जी की मूर्ति सालों से यूँ ही 

घूँघट उठाये जाने की आस में

चौराहे पर उदास खड़ी है !

न जाने वो कौन है कहाँ है

जिसे यह घूँघट उठाना था !

अब तो मन में भय और घबराहट है

कहीं यह अनावरण की रस्म

स्थाई रूप से टल ही न जाए

कहीं मंत्री जी विश्वास प्रस्ताव हार गए

तो फिर कौन सगा कौन सौतेला

किस का कहाँ ठिकाना है !

हृदय में धुकधुकी लगी है

माथे पर चिंता की लकीरें हैं

अनावरण के दिन गले में

क्या पहनाया जाएगा

फूलों और नोटों के हार पहनाये जायेंगे

या फिर जूतों के हारों को आना है !

 

साधना वैद

 


9 comments:

  1. हार्दिक धन्यवाद प्रिय सखी यशोदा जी ! बहुत बहुत आभार आपका ! सप्रेम वन्दे !

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    1. हार्दिक धन्यवाद जीजी ! बहुत बहुत आभार आपका !

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  3. आज जो हो रहा है उसका सजीव चित्रण ।

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    1. लेकिन यह सच बहुत कचोटता भी है संगीता ही ! हार्दिक धन्यवाद एवं आभार आपका !

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  4. बेहतरीन रचना।

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    1. हार्दिक धन्यवाद अनुराधा जी ! बहुत बहुत आभार आपका !

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  5. सजीव चित्रण

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    1. हार्दिक धन्यवाद केडिया जी ! बहुत बहुत आभार !

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