Saturday, September 24, 2022

शक्तिपूजा

 



जीना है अगर सम्मान से,

रखना है अपनी प्रतिष्ठा को 

संसार में सर्वोच्च पायदान पर,

रखना है अगर कदम अपना 

सफलता के शिखर पर,

और जो लहराना है 

अपना परचम यश के फलक पर 

तो खुद शक्ति बनो तुम 

किसी अन्य की शक्तिपूजा से 

फल नहीं मिलेगा तुम्हें ।

अपने मनमंदिर में 

अपनी मूर्ति स्थापित करो, 

उत्तम विचारों के शुद्ध जल से 

स्नान करा उसे पावन बनाओ,

दृढ़ संकल्प शक्ति से 

अभिमंत्रित कर 

उसमें प्राणप्रतिष्ठा करो,

और फिर करो पूरी श्रद्धा 

और विश्वास के साथ 

स्वयं अपनी ही शक्तिपूजा ।

क्योंकि जो तुम्हारा अभीष्ट है 

जो तुम्हारा लक्ष्य है 

जो तुम्हारा साध्य है

उसके लिये साधन भी तुम्हीं हो 

और साधक भी ।

इसलिये उठो और इस 

अलौकिक अनुष्ठान के लिये

स्वयं को तैयार करो । 


साधना वैद 

14 comments:

  1. बहुत सुंदर कविता।

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    1. हार्दिक धन्यवाद तिवारी जी ! बहुत बहुत आभार आपका !

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    1. हार्दिक धन्यवाद ओंकार जी ! बहुत बहुत आभार आपका !

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  3. बढ़िया रचना है साधना जी।अपनी नजरों में उठकर ही नारी शिखरों को छू सकती है

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    1. सार्थक प्रतिक्रिया के लिए हृदय से धन्यवाद रेणु जी ! बहुत बहुत आभार आपका !

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  4. नवरात्रों के आगमन पर ढेरों शुभकामनाएं और बधाई स्वीकार करें 😃🙏

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    1. आपको भी शारदीय नवरात्रों की अनंत शुभकामनाएं रेणु जी ! माँ की अनुकम्पा सब पर बनी रहे !

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  5. बहुत ही सुन्दर आह्वान, नवरात्रि पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं दी 🙏

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    1. हार्दिक धन्यवाद कामिनी जी ! बहुत बहुत आभार आपका !

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  6. स्त्री विमर्श पर सुंदर रचना । शारदीय नवरात्रि पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई।

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    1. हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद जिज्ञासा जी ! बहुत बहुत आभार आपका !

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  7. अपने लक्ष्य के लिए साधन भी तुम्हीं हो और साधक भी...
    वाह !!!
    बहुत ही लाजवाब ।

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    1. हार्दिक धन्यवाद सुधा जी ! बहुत बहुत आभार आपका !

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