Tuesday, January 31, 2023

वसंत आया देहरी पर

 



सुबह हवाओं में खुशबू थी

खिले बाग़ में ढेरों फूल

कोयल कुहुक रही अमराई

पंछी रहे शाख पर झूल !

विस्मित थी क्या हुआ प्रकृति को

क्यों है इतनी मगन विभोर  

द्वार खोल कर मैंने देखा

वसंत आया देहरी पर !


रंग दी फ्रॉक बसंती माँ ने

बाबूजी का रंगा रुमाल

घर में उत्सव की हलचल थी

सेवंती के गूँथे हार !

पीले चावल की खुशबू ने

हमको याद दिला दी आज

माता सरस्वती का दिन है

वसंत आया देहरी पर !


पीली सरसों के उबटन से

अपना रंग निखार लिया

रंग बिरंगे फूलों के गहनों से

निज श्रृंगार किया !

सज धज कर यह धरा सुन्दरी

स्वागत को तत्पर है आज

विहँस उठी जब देखा उसने

वसंत आया देहरी पर !


उतर आये हैं मदन धरा पर

लिए हाथ फूलों के बाण

लक्ष्य साध लिया है भू पर

हैं तत्पर करने संधान !

नाच उठे गन्धर्व स्वर्ग में

देख धरा का अनुपम रूप

आल्हादित हर प्राण देख यह

बसंत आया धरती पर !

 

साधना वैद

 

 

 


6 comments:

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    1. हार्दिक धन्यवाद जीजी ! बहुत बहुत आभार आपका !

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  2. सुन्दर सृजन

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    1. हार्दिक धन्यवाद केडिया जी ! बहुत बहुत आभार आपका !

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  3. Replies
    1. हार्दिक धन्यवाद जीजी ! बहुत बहुत आभार !

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