Friday, April 21, 2023

वादा करो मुझसे

 



जानती हूँ अभी

तुम्हारी आँखों के आगे अँधेरा है,

विचारों को पाला मार गया है,

कल्पना कुहासे के गह्वर में दुबकी है,

दिल पर द्वंद्व के साए घिर आये हैं,

बुद्धि पर अहंकार का पहरा है

और मन की झील में नफ़रत का विष

गहराई तक घुल गया है !

ऐसे में तुमसे एक वादा चाहती हूँ

अभी तुम बिलकुल चुप रहना

कुछ भी न बोलना  

इस वक्त जो कुछ भी तुम कहोगे

वह किसी भी तरह से बुद्धि सम्मत,

तर्क सम्मत या मानवता सम्मत तो

हरगिज़ नहीं होगा

ऐसे में तुम्हारा चुप रहना ही

श्रेयस्कर होगा !

कुछ भी कह देने के बाद

तुम खुद से ही आँखें न मिला पाओ

उससे अच्छा है तुम चुप ही रहो !

वादा करो मुझसे

जब तक वाणी पर

तुम्हारा वश नहीं होगा,

जब तक तुम्हारे आक्रोश का

ज्वालामुखी शांत नहीं होगा,

जब तक तुम्हारे मन की झील का विष

निथर कर बह नहीं जाएगा

तुम चुप रहोगे

तुम अपने अधर बिलकुल भी

नहीं खोलोगे !

 

साधना वैद

 

 

 


7 comments:

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    1. हार्दिक धन्यवाद तिवारी जी ! आपका बहुत बहुत आभार !

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    1. हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार अनीता जी !

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  3. हार्दिक धन्यवाद ओंकार जी ! बहुत बहुत आभार आपका !

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  4. काश ये वादा हम सभी अपने आप से करें ।आक्रोश में चुप रहना ही बेहतर है।

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    1. हार्दिक धन्यवाद सुधा जी ! बहुत बहुत आभार आपका !

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