Friday, September 22, 2023

दोहा मुक्तक

 


दोहा मुक्तक

1

भ्रष्ट आचरण का लगा, नेताजी को रोग,

फल इनकी करतूत का, भुगतें बाकी लोग, 

जंगल के इस राज में खुदगर्जी आबाद,

जनता भूखी डोलती, नेता छप्पन भोग !

 

2

रूखी सूखी में कटे, जिनके बीते साल,

सत्ता मिलते ही हुए, कैसे मालामाल,

नेता बनते ही हुए, तेवर बड़े अजीब,

कुर्सी पाते ही चलें, ये शतरंजी चाल !


3

नेताजी ने देश का, क्या कर डाला हाल,

खुद भोगें सुविधा सभी, जनता है बदहाल,

माल सूत कर बढ़ गया, नेता जी का पेट,

घोटालों से बचे तो, पूछें जन का हाल !


4

रामराज का हो गया, सच में बंटाढार,

नेता मद में चूर हैं, जनता है लाचार,

कौन सुने किससे कहें, मुफलिस की फ़रियाद,

नेता जी करवा रहे, जग में जयजयकार !

 


चित्र - गूगल से साभार 


साधना वैद


Monday, September 18, 2023

हाइकु दोहे

 


प्यासा सावन

व्यथित मन सूखे

पोखर ताल

फसलें सूखीं

शुष्क वन जग में

पड़ा अकाल !

 

आकर बूझो

मोहना जन गण

मन की बात

हरण करो

विपदा सभी दूर

करो संताप ! 

 

मोहन तेरी

मुरलिया हरती

मन की पीर

ठगी हुई सी

फिर रहीं सखियाँ

यमुना तीर !

 

भोला है जग

साँवरे, नटखट

नंद किशोर

देखत लीला   

थम गए दिवस   

रैन औ भोर  

 

 

साधना वैद

 


Wednesday, September 13, 2023

काग़ज़ की कश्तियाँ

 


काग़ज़ की कश्तियाँ


गया

सावन

भर गई

साफ पानी से

घर की सड़क

आओ तैराएँ हम

काग़ज़ की कश्तियाँ

रख लें पकड़

वीर बहूटी

मखमली

प्यारी सी

डिब्बी

में 


ले

आया

कितनी

ढेर सारी

मुस्कुराहटें

और थमा गया

कागज़ की कश्तियाँ

और ढेरों मस्तियाँ

चंचल हाथों में

बनने लगीं

कागज़ की

कश्तियाँ

बातों

में 


दे

गया

सुंदर

उपहार

मनभावन

मधुर यादों का

विरहिन गोरी को

देखती है राह जो

खिड़की से टिकी 

प्रियतम की

रिमझिम

फुहारों 

संग

ही



साधना वैद