Tuesday, October 17, 2023

युद्ध की विभीषिका

 



शुभ कदम

पावन हुआ घर

देवी जी आईं

 

आओ पधारो

सब मंगल करो

माँ वरदाई  

 

हिंसा का नाच

युद्ध की विभीषिका

शमन करो

 

आतंकवादी

जो बिगाड़ें माहौल

दमन करो

 

पोंछ दो आँसू

रख दो मरहम

मिटा दो दर्द

 

रिसते ज़ख्म

क्षत विक्षत अंग

चहरे ज़र्द

 

विघ्न नाशिनी

हे करुणामयी माँ

कल्याण करो

 

रोई ममता

सहमी मानवता

निर्वाण करो !

 

 

साधना वैद


6 comments:

  1. यथार्थ परक सार्थक रचना

    ReplyDelete
    Replies
    1. हार्दिक धन्यवाद अभिलाषा जी ! बहुत बहुत आभार आपका !

      Delete
  2. Replies
    1. हार्दिक धन्यवाद विवेक जी ! बहुत बहुत आभार आपका !

      Delete
  3. सार्थक रचना

    ReplyDelete
    Replies
    1. हार्दिक धन्यवाद ओंकार जी ! बहुत बहुत आभार आपका !

      Delete