Monday, February 12, 2024

संग उड़ना चाहती हूँ

 



संग उड़ना चाहती हूँ दूर नभ में
दे सकोगे साथ क्या बोलो मेरा तुम
साथ अम्बर का लगा कर एक फेरा
करेंगे अठखेलियाँ तारों में हम तुम
मौन की कारा से कब निकलोगे बाहर
तोड़ दो इस कशमकश की डोर को तुम
भूल कर सारे जहां की उलझनों को
चाँद को हैरान कर दें आज हम तुम !


चित्र - गूगल से साभार


साधना वैद

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