Monday, April 29, 2024

मुस्काते पल - सेदोका

 



तुम्हारा आना

नयनों का लजाना

बातों का बिसराना

पुराने दिन

कॉलेज का ज़माना

तेरा खिलखिलाना


याद आ गयीं

वो बिसरी सी बातें

मीठी सी मुलाकातें

मुस्काते पल 

हँसते हुए दिन 

खिलखिलाती रातें  


कैसे भूलेंगे

टेनिस का रैकेट 

कैरम की गोटियाँ

वो शरारतें 

वो खिलन्दड़ापन

छोटी लम्बी चोटियाँ 

 

आओ फिर से

महफ़िल सजाएं

हँस लें मुस्कुराएँ

न जाने फिर

ऐसे सुन्दर दिन

कभी आयें न आयें  

 

आ जाओ साथी

खुशियाँ फिर जी लें

सुख मदिरा पी लें

चूक न जाएँ

दो दिन का जीवन 

हँस हँस के जी लें !

 

चित्र - गूगल से साभार 


साधना वैद


4 comments:

  1. Replies
    1. हार्दिक धन्यवाद आलोक जी बहुत बहुत आभार आपका !

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  2. बहुत सुंदर यादें।

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    1. बड़े दिनों के बाद आगमन हुआ दराल साहेब ! दिल से धन्यवाद एवं आभार !

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