ओस की बूँदें
झिलमिलाते मोती
खुली अंजुरी
प्रेमोपहार
प्रभु का प्रकृति को
ओस के रत्न
सजी वसुधा
ओढ़ हरी चूनर
मोतियों जड़ी
लुटाता चाँद
रुपहले माणिक
दोनों हाथों से
खुश है धरा
पहन के नाज़ से
नौलखा हार
विनीत धरा
आभूषण ओस के
पुष्प मंजूषा
हरी पत्तियाँ
सहेजतीं प्यार से
ओस के मोती
बूँदों का भार
थरथराते पत्ते
झरती बूँदें
थरथराते पत्ते
झरती बूँदें
चित्र - गूगल से साभार
साधना वैद
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