चल मन ले चल मुझे झील के उसी किनारे !
जहाँ दिखा था पानी में प्रतिबिम्ब तुम्हारा ,
उस इक पल से जीवन का सब दुःख था हारा ,
कितनी मीठी यादों के थे नभ में तारे ,
चल मन ले चल मुझे झील के उसी किनारे !
जहाँ फिजां में घुला हुआ था नाम तुम्हारा ,
फूलों की खुशबू में था अहसास तुम्हारा ,
मीठे सुर में पंछी गाते गीत तुम्हारे ,
चल मन ले चल मुझे झील के उसी किनारे !
जहाँ हवा के झोंकों में था परस तुम्हारा ,
हर साये में छिपा हुआ था अक्स तुम्हारा ,
पानी पर जब लिख डाले थे नाम तुम्हारे ,
चल मन ले चल मुझे झील के उसी किनारे !
शायद अब भी वहीं रुकी हो बात तुम्हारी ,
किसी लहर में कैद पड़ी हो छवि तुम्हारी ,
मेरे छूने भर से जो जी जायें सारे ,
चल मन ले चल मुझे झील के उसी किनारे !
मन का रीतापन थोड़ा तो हल्का होगा ,
सूनी राहों का कोई तो साथी होगा ,
तुम न सही पर यादें होंगी साथ हमारे ,
चल मन ले चल मुझे झील के उसी किनारे !
जादू की उस नगरी में जाना है मुझको,
हर तिलस्म को तोड़ तुम्हें पाना है मुझको,
जो आ जाओ रौशन होंगे पथ अँधियारे,
चल मन ले चल मुझे झील के उसी किनारे !
जादू की उस नगरी में जाना है मुझको,
हर तिलस्म को तोड़ तुम्हें पाना है मुझको,
जो आ जाओ रौशन होंगे पथ अँधियारे,
चल मन ले चल मुझे झील के उसी किनारे !
साधना वैद
शायद अब भी वहीं रुकी हो बात तुम्हारी ,
ReplyDeleteकिसी लहर में कैद पड़ी हो छवि तुम्हारी ,
मेरे छूने भर से जो जी जायें सारे ,
चल मन ले चल मुझे झील के उसी किनारे !
...बहुत कोमल अहसास...सुन्दर भावपूर्ण रचना..
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ReplyDelete.................
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अब हर कविता को अति सुन्दर अति सुन्दर बोलूँगा तो आप कहेंगी की झूठी प्रशंसा तो सोचा थोड़ी चित्रकारी कर दूँ...
शायद अब भी वहीं रुकी हो बात तुम्हारी ,
ReplyDeleteकिसी लहर में कैद पड़ी हो छवि तुम्हारी ,
मेरे छूने भर से जो जी जायें सारे ,
चल मन ले चल मुझे झील के उसी किनारे !
मन का रीतापन थोड़ा तो हल्का होगा ,
सूनी राहों का कोई तो साथी होगा ,
मन के कोमल भाव जो आज भी लहर बन कर झकझोरते हैं ..और ऐसी कामना करते हैं ...सुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्ति
bhav poorn rachna
ReplyDeletebahut sundar.....
ReplyDeleteकोमल मन की कोमल कोमल भावनाएं...
ReplyDelete"मेरे छूने भर से जो जी जायें सारे ,
चल मन ले चल मुझे झील के उसी किनारे !"
काश कि ये छुअन सजीव हो जाये....
बहुत सुन्दर...!!
हमेशा की तरह एक बेहतरीन रचना ..... बहुत खूब
ReplyDelete.
ReplyDelete@-तुम न सही पर यादें होंगी साथ हमारे ....
Fond memories are always our best companion.
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प्रियतम से मिलने की अनादि इच्छा , भाव प्रवणता से व्यक्त . सुमधुर गेय रचना .
ReplyDelete"मन का रीतापन कुछ तो कम होता -------
ReplyDeleteझील के उसी किनारे "
बहुत ख़ूबसूरती से भाव व्यक्त किये हैं |बधाई
आशा
शायद अब भी वहीं रुकी हो बात तुम्हारी ,
ReplyDeleteकिसी लहर में कैद पड़ी हो छवि तुम्हारी ,
क्या बात है...बड़ी ही प्यारी सी रचना
मन का रीतापन थोड़ा तो हल्का होगा ,
ReplyDeleteसूनी राहों का कोई तो साथी होगा ,
तुम न सही पर यादें होंगी साथ हमारे ,
चल मन ले चल मुझे झील के उसी किनारे !
सुंदर गीत कोमल एहसास लिए हुए.
चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 29 -03 - 2011
ReplyDeleteको ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..
http://charchamanch.blogspot.com/
शायद अब भी वहीं रुकी हो बात तुम्हारी ,
ReplyDeleteकिसी लहर में कैद पड़ी हो छवि तुम्हारी ,
मेरे छूने भर से जो जी जायें सारे ,
चल मन ले चल मुझे झील के उसी किनारे !
बहुत सुन्दर भाव.
शायद अब भी वहीं रुकी हो बात तुम्हारी ,
ReplyDeleteकिसी लहर में कैद पड़ी हो छवि तुम्हारी ,
मेरे छूने भर से जो जी जायें सारे ,
चल मन ले चल मुझे झील के उसी किनारे !
mann ruko , main bhi aati hun
झील से गहरे हैं भाव आपके ,
ReplyDeleteमन हर लेते हैं जज्बात आपके |
bahut sunder man ke bhaavo ka chitran kiya hai. bahut komal ehsaas.sach me jheel ka kinara bahut kuchh beete hue ka aur sunder sapno ka aayina dikha deta hai.
ReplyDelete-------- यदि आप भारत माँ के सच्चे सपूत है. धर्म का पालन करने वाले हिन्दू हैं तो
ReplyDeleteआईये " हल्ला बोल" के समर्थक बनकर धर्म और देश की आवाज़ बुलंद कीजिये...
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क्या यही सिखाता है इस्लाम...? क्या यही है इस्लाम धर्म
मन का रीतापन थोड़ा तो हल्का होगा ,
ReplyDeleteसूनी राहों का कोई तो साथी होगा ,
यह पंक्तियाँ बहुत अच्छी लगीं.
सादर