Tuesday, February 14, 2012

फागुन


फागुन का मास तो

हर बरस आता है ,

लाल, पीले,

हरे, नीले

रंगों से सराबोर

ना जाने कितने कपड़े

हर साल बाँटती हूँ

फिर भी

नहीं जानती

मेरे मन की

दुग्ध धवल श्वेत चूनर

अभी तक

कोरी की कोरी

ही कैसे रह गयी !

कितना विचित्र

अनुभव है कि

एक प्राणवान शरीर

रंगों से खेल रहा होता है

और एक निष्प्राण आत्मा

नितांत पृथक और

निर्वैयक्तिक हो

असम्पृक्त भाव से

बहुत दूर से

इस फाग को अपने

निस्तेज नेत्रों से

अपलक निहारती

रहती है और

कामना करती है

कभी तो उसके श्याम

उसके आँगन में आयेंगे

और उसके मन की

चूनर पर रंग भरी

अपनी पिचकारी से

सतरंगी फूल बिखेरेंगे !



साधना वैद

15 comments:

  1. पंचतत्वों के रथ पर सवार
    निर्मल धवल आत्मा तेरी
    लाया जग में पालनहार
    वह पल क़ियामत होगा
    पूरा होगा तेरा जो विचार

    See :
    http://vedquran.blogspot.in/2012/02/sun-spirit.html

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  2. कुमार राधारमण जी की पोस्ट का चर्चा है ‘ब्लॉग की ख़बरें‘ पर
    जिसने हिंदी ब्लॉग जगत में ब्लॉग पत्रकारिता का सूत्रपात किया।
    जिसमें बताया गया है महिलाएं किस उम्र में क्या खाएं ?
    http://blogkikhabren.blogspot.com/2012/02/age-factor.html

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  3. अद्भुत ...दिव्य रचना ....
    बहुत खूबसूरत ....!!

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  4. बहुत सुंदर एवं भावपूर्ण प्रस्तुति !
    आभार

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  5. वाह ...बहुत बढिया।

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  6. बहुत बहुत खूबसूरत रचना है |मन को छू गयी |
    आशा

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  7. shabdon ke adbhut sayojan se man ki tees ko poorn roop se mukharit kar diya hai.

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  8. जब आप रंग बिरंगे कपड़े हर साल बांटती हैं तो आपका मन कैसे श्वेत चूनर में रह सकता है ...हम तो आपके आँगन में श्याम के आने का इंतज़ार कर रहे हैं जो आपकी पूरी चुनरी ही सतरंगी फूलों से रंग दें ॥ सुंदर रचना

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  9. कामना करती है कभी तो उसके श्याम उसके आँगन में आयेंगे

    ...जब इतने रंगों के बीच भी मन कोरा ही रह जाएगा...तो श्याम को आना ही पड़ेगा...

    सुन्दर कविता

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  10. आपकी पोस्ट आज की ब्लोगर्स मीट वीकली (३१) में शामिल की गई है/आप आइये और अपने विचारों से हमें अवगत करिए /आप इसी तरह लगन और मेहनत से हिंदी भाषा की सेवा करते रहें यही कामना है /आभार /

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  11. उसका रंग जब चढ़ जाता है, सब रंग फींका पड़ जाता है।

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  12. आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 23-02-2012 को यहाँ भी है

    ..भावनाओं के पंख लगा ... तोड़ लाना चाँद नयी पुरानी हलचल में .

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  13. बहुत सुन्दर लगी आपकी यह प्रस्तुति.
    भाव और भक्ति से ओतप्रोत.

    मेरे ब्लॉग पर आपके आने का आभारी हूँ मैं.

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