कुछ मधुर तुम कान में जो कह गये
शूल मन के वेग से सब बह गये !
मलय ने आँचल मेरा लहरा दिया ,
भाव विह्वल गीत सारे हो गये !
पुष्प वासंती हृदय में खिल उठे ,
प्राण सुरभित एक पल में हो गये !
मन विहग ने क्षितिज तक भर ली उड़ान ,
स्वर मुखर हर इक दिशा में हो गये !
पवन पी पीयूष प्याला प्रेम का ,
प्रिय परस की वंचना में खो गये !
नयन उन्मीलित पुलक कर लाज से
प्रिय दरस की साध लेकर खुल गये !
अधर अस्फुट गीत दोहराते रहे ,
स्वप्न सब साकार जैसे हो गये !
निमिष भर को तुम मिले जग मिल गया ,
प्रार्थना के स्वर सफल सब हो गये !
साधना वैद
वाह ..बहुत सुन्दर और अलंकारों से सुसज्जित सुन्दर रचना ... पढ़ कर मन उल्लसित हो गया ..
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर अंतरमन को छु लेनेवाली
ReplyDeleteप्रेम के भाव से सराबोर बेहतरीन रचना है...
मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है ..समय मिले तो आइये जरुर ......
आदरणीय मौसीजी,सादर वन्दे,बहुत ही सुन्दर भावों का संयोजन है मन हर ले गई आपकी कविता |
ReplyDeleteअनुपम भाव संयोजन ..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ..
ReplyDeleteमनोहारी रचना
सादर नमन .
आदरणीय साधना वैद जी
ReplyDelete... बेहद प्रभावशाली बेहतरीन रचना है
मगर बेहद प्रभावी तरीके से प्रस्तुत करने की बधाई
बहुत खुबसूरत रचना अभिवयक्ति.........
ReplyDeleteअच्छा शब्द चयन और बहुत सुन्दर रचना |गहन भाव |मन को छू गयी |
ReplyDeleteआशा
प्रेमपरक सुन्दर रचना है.
ReplyDeleteमन विहग ने क्षितिज तक भर ली उड़ान ,
ReplyDeleteस्वर मुखर हर इक दिशा में हो गये !
क्या बात....बड़ी खूबसूरती से मन के भावों को शब्द दिए हैं..
प्रसन्नत बिखेरती..खिली खिली सी कविता
apka shabkosh to bahut vishal hai isme koi sanshay nahi....aur jis prakar sunder sashakt shabdo ka sanyojan kar apne ehsaso ko mukharta aap apni rachnao me aap deti hain uska b koi sani nahi hai.
ReplyDeleterajbhasha par apka intzar hai.
aabhar.
निमिष भर को तुम मिले जग मिल गया ,
ReplyDeleteप्रार्थना के स्वर सफल सब हो गये !
अनूठे भाव, प्रेमरस में डूबी सुन्दर रचना... आभार
आपकी किसी पोस्ट की चर्चा है नयी पुरानी हलचल पर कल शनिवार ११-२-२०१२ को। कृपया पधारें और अपने अनमोल विचार ज़रूर दें।
ReplyDeleteआस्था और आशावादिता से भरपूर स्वर इस कविता में मुखरित हुए हैं।
ReplyDeleteपवन पी पीयूष प्याला प्रेम का ,
ReplyDeleteप्रिय परस की वंचना में खो गये !
अलंकार शब्द-चयन भाव ...एक सम्पूर्ण रचना ... प्रशंसनीय
बहुत ही खूबसूरत रचना।
ReplyDeleteसादर
हलचल पर आपकी पोस्ट है ...साधना जी मेरी टिप्पणी कहाँ गयी ....?स्पैम में देखिये ....
ReplyDeleteबहुत सुंदर शाब्दिक चयन ..... मनमोहक रचना
ReplyDeleteआप सभी सुधी पाठकों का हृदय से आभार है !
ReplyDeleteमन विहग ने क्षितिज तक भर ली उड़ान ,
ReplyDeleteस्वर मुखर हर इक दिशा में हो गये !kya sunder kavita hai.......wah.
बहुत खूब..
ReplyDeleteअनुपम भाव संयोजन ..सशक्त रचना..
ReplyDeleteनिमिष भर को तुम मिले जग मिल गया ,
ReplyDeleteप्रार्थना के स्वर सफल सब हो गये !.....मन को छू गई आपकी प्रेम कविता।
//निमिष भर को तुम मिले जग मिल गया ,
ReplyDeleteप्रार्थना के स्वर सफल सब हो गये !
bahut hi sundar bhaav.. bahut achha laga padhke :)
palchhin-aditya.blogspot.in
सुंदर गीत पढकर आनंदित हो उठा है मन. बहुत बधाई संगीता जी.
ReplyDeleteनिमिष भर को तुम मिले जग मिल गया ,
ReplyDeleteप्रार्थना के स्वर सफल सब हो गये !
बहुत सही बात कही है , निमिष भर के सानिंध्य से आत्मा तृप्त हो जाती है.