Tuesday, May 22, 2012

शहर का खुश चेहरा : शाहजहाँ गार्डन


घर से बाहर कहीं जाना हो तो प्राय: सुबह नौ दस बजे के बाद ही निकलना होता है ! सड़कें इस समय भीड़ से अटी पड़ी होती हैं और लोगों के चेहरों पर जल्दबाजी, तनाव और झुँझलाहट के भाव स्पष्ट रूप से दिखाई देते हैं ! सबको अपने गंतव्य तक पहुँचने की जल्दी होती है ऐसे में किसीका वाहन ज़रा सा किसीको छू तो ले लोग लाल पीले होकर सामने वाले पर पिल पड़ते हैं, सिग्नल पर ट्रैफिक जाम हो जाए तो सहयात्रियों पर चिड़चिड़ाते हैं, जो औरों से नहीं उलझते वे अधीर होकर हॉर्न पर हॉर्न बजाये जाते हैं जैसे इनका हॉर्न सुन कर ही सिग्नल ग्रीन हो जाएगा, अभद्र टिप्पणी या छेड़छाड़ का मामला हो तो हाथापाई पर उतर आते हैं, महिलायें सब्जी वाले से मोल भाव करते हुए झगड़ती हैं तो पड़ोसी अपने घर के सामने दूसरे की गाड़ी पार्क होते देख आपा खो बैठते हैं, बच्चे ज़रा-ज़रा सी बात पर आस्तीनें चढ़ा मार पीट करने लगते हैं ! यह सब देख ऐसा लगने लगा था कि शायद अब लोगों में धैर्य, सहिष्णुता और सद्भावना का नितांत अभाव होता जा रहा है या ज़िंदगी में तनाव और ज़द्दोज़हद इतनी बढ़ गयी है कि लोग एक दूसरे के साथ प्यार से बात करना और मुस्कुराना ही भूल गए हैं ! लेकिन कुछ दिनों से सुबह की सैर के लिए शाहजहाँ गार्डन जाना शुरू किया है और वहाँ जो अनुभव मिले वे मेरी इस धारणा को पूरी तरह से निर्मूल कर गए !
हमारे आगरा में शाहजहाँ गार्डन से ही सटा हुआ है मोती लाल नेहरू उद्यान जिसका नाम पहले विक्टोरिया पार्क हुआ करता था ! दोनों गार्डंस को मिला कर एक बहुत विशाल, सुरक्षित और प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर क्षेत्र सैर करने वालों के लिए शहर में ही उपलब्ध हो गया है जिसमें अंदर ही अंदर अनेकों छोटे बड़े ट्रैक्स बने हुए हैं ! व्यक्ति अपनी ज़रूरत, समय और शक्ति के अनुसार इनमें चुनाव कर अपने लिए उपयुक्त विकल्प का चयन कर सकता है ! पार्क में चारों तरफ हरियाली ही हरियाली है और यह अनेक छोटे-छोटे हिस्सों में बँटा हुआ है जहाँ हर उम्र, धर्म, जाति और वर्ग के लोग नाना प्रकार की स्वास्थ्य व मनोरंजन से जुड़ी गतिविधियों में लीन दिखाई देते हैं ! यहाँ आकर शहर का एक नया ही चेहरा देखने को मिला और उसे देख कर सच में बहुत खुशी और संतोष का अनुभव हुआ ! जगह-जगह लोग कहीं समूह में तो कहीं अकेले योगा करते हुए दिख जाते हैं ! महिलाओं के भी अनेकों छोटे बड़े ग्रुप्स दिखाई देते हैं ! कहीं वे आपस में घर गृहस्थी की बातें करती दिखाई देती हैं तो कहीं बाबा रामदेव की सिखाई योग क्रियाएँ करती मिल जाती हैं ! अनेकों स्थान पर दरी बिछाकर लोग किसी योग गुरू के निर्देशन में व्यायाम करते हुए मिल जाते हैं ! आम लोगों में योगा के प्रति इतनी जागरूकता फैलाने का सारा श्रेय बाबा रामदेव को दिया जाना चाहिए ! पार्क में जगह-जगह खुले मैदानों में बच्चे क्रिकेट, फुटबॉल, वौलीबॉल या बैडमिंटन खेलने के लिए आते हैं ! बुर्के से ढकी मुस्लिम महिलायें भी अक्सर बैडमिंटन खेलती हुई मिल जाती हैं ! बच्चे पत्थरों से बने साफ़ सुथरे और चिकने ट्रैक्स पर जम कर स्केटिंग की प्रैक्टिस करते हैं ! कुछ पेड़ों पर पुल अप्स करते मिल जाते हैं तो कुछ ग्राउंड में सिट अप्स करते मिल जाते हैं ! किसीके भी चहरे पर तनाव या चिंता की लकीरें दिखाई नहीं देतीं ! सारा शहर जैसे मौज मस्ती और जश्न मनाने के मूड में नज़र आता है !
पार्क में घने पेड़ों से आच्छादित कई गहरी घाटियाँ हैं ! जिनमें तरह-तरह के खूबसूरत फूलों वाले पेड़ लगे हुए हैं ! सुबह-सुबह पीले फूलों के गुच्छों से सुसज्जित अमलतास के ऊँचे घने पेड़ घाटी में फानूस की तरह जगमगाते दिखाई देते हैं ! जहाँ भी अमलतास के पेड़ पार्क में लगे हैं ऐसा लगता है वहाँ रोशनी दोबाला हो गयी है ! मुझे पेड़ों के बारे में अधिक जानकारी तो नहीं है लेकिन जिन पेड़ों को मैं पहचान पाई उनमें गुलमोहर, सहजन, शीशम, मौलश्री, अंजीर, केसिया, कचनार, ढाक, देसी बबूल, यूकेलिप्टस, इमली, नीम, लसोड़ा, अशोक, चन्दन, पाकड़, सेमल और चिरौंजी इत्यादि हैं ! इनके अलावा फूलों के छोटे बड़े पेड़ भी अनेक हैं जिनमें कई रंगों के कनेर, चम्पा, चमेली, हरसिंगार. चाँदनी, गुड़हल, लगभग हर रंग के वगन वेलिया और विभिन्न प्रकार के पाम यहाँ पार्क के विभिन्न हिस्सों में दिखाई देते हैं ! किस्म-किस्म की बेलें भी पेड़ों पर आच्छादित दिखाई देती हैं जिनके खूबसूरत फूल आमंत्रण देते से प्रतीत होते हैं ! इनके अलावा पानी से भरे छोटे बड़े कई वाटर पॉइंट्स भी हैं जिनमें अक्सर प्रवासी पक्षी भी दिखाई दे जाते हैं ! पार्क में सुबह-सुबह अनेकों पंछियों की मधुर आवाजें सुनाई देती हैं ! कोयल और मोर की मीठी बोली सुन कर मन हर्षित हो जाता है ! अनेकों दयालु पर्यावरण प्रेमी लोग थैलियों में दाने भर कर आते हैं और जगह-जगह पर पंछियों को खिलाने के लिए धरती पर बिखेर देते हैं जिन्हें देख कर अनेकों कबूतर, तोते, गोरैया, गिलहरियाँ और गलगलियाँ पंख पसारे झुण्ड के झुण्ड वहाँ आ जुटते हैं और दाने चुगने लगते हैं ! पार्क में हर जगह सैकड़ों मिट्टी के पात्र पंछियों की प्यास बुझाने के लिए पानी से भरे हुए रखे मिलते हैं ! कई लोग बंदरों और कुत्तों के लिए भी रोटियाँ बना कर लाते हैं ! अपने आसपास इतने सहृदय लोगों को देख कर अत्यंत प्रसन्नता होती है ! एक आम आदमी जो हर रोज ना जाने कितने संकटों का सामना करता है और ना जाने कितने तनावों से गुजरता है उसका चेहरा सुबह पार्क में मिलने वाले लोगों के इन चेहरों से बिलकुल अलग है !
इन तमाम खूबियों के बाद भी पार्क में जो अखरा वह यह था कि जिन बातों के लिए स्थान-स्थान पर कई निषेधाज्ञा के बोर्ड लगे हुए हैं लोग उन्हीं चीज़ों में संलग्न रहते हैं जैसे फूल पत्तियों को तोड़ना, पेड़ों की नाज़ुक टहनियों पर लटकना, ट्रैक्स पर साइकिल और स्कूटर चलाना आदि ! इन समस्याओं का निदान होना आवश्यक है !
कितना अच्छा हो कि इस पार्क में पेड़ पौधों की जानकारी देने के लिए समय-समय पर विशेषज्ञों के साथ भ्रमण की व्यवस्था भी हो जाए जिससे हम जैसे अनेकों जिज्ञासु और प्रकृतिप्रेमी लोगों का ज्ञानवर्धन हो सके !
सुबह की इस सैर ने हमें आगरा शहर के एक नये रूप से परिचित कराया है और अपने शहर का यह रूप हमें वास्तव में बहुत मनमोहक लगा है ! इसमें कोई दो राय नहीं कि सर्व धर्म समभाव और अनेकता में एकता का शाहजहाँ गार्डन से बेहतर उदाहरण कहीं और नहीं मिल सकता है ! और हमें अपने शहर की इस अनमोल धरोहर पर गर्व है !

साधना वैद


18 comments:

  1. ऐसी जगहों पर जाकर इंसान कुछ क्षणों के लिए शहर की आपाधापी से दूर कुछ देर तो शांति का अनुभव करता है. वैसे ऐसे प्राकृतिक सुन्दरता वाले स्थान कहीं कहीं ही उपलब्ध होते हें. नहीं तो सड़क के किनारे लगे पेड़ों को उजाड़ने में हम ही दो कदम आगे होते हें.

    ReplyDelete
  2. बिल्‍कुल सही कहा आपने ... गर्व होना भी चाहिए ...

    ReplyDelete
  3. शाहजहाँ गार्डन का बहुत ही खुबसूरती से वर्णन किया है चित्र भी सुन्दर हैं...

    ReplyDelete
  4. जब हरियाली नजर आती है बहुत सुकून मिलता है मन को |गार्डन में तुम्हारा फोटो बहुत अच्छा आया है |अच्छा आलेख |
    आशा

    ReplyDelete
  5. BAHUT KHOOBSURAT VARNAN...HARIYALI AUR BAAG KISI BHI SHEHAR KE LIYE FEFDON KA KAAM KARTE HAIN...

    ReplyDelete
  6. सौंदर्य बिखरा पड़ा है , आपने सहेज लिया है उतनी ही ख़ूबसूरती से

    ReplyDelete
  7. आंटी! बहुत अच्छा लगा पढ़ कर।
    इतने साल आगरा मे रहा पर कभी शाहजहाँ गार्डन घूम नहीं पाया :(

    सादर

    ReplyDelete
  8. ऐसे बगीचे ही किसी शहर के फेफड़े कहे जाते हैं .... सुंदर वर्णन और चित्र भी बहुत अच्छे .... हर तरह की गतिविधियों से परिचय कराया .... नियम को तोड़ना लोगों की फितरत में शामिल है ... काश बाग की सुंदरता को बनाए रखने में हर नागरिक अपना सहयोग दे .... सुंदर प्रस्तुतीकरण के लिए आभार

    ReplyDelete
  9. bahut sadha hua lekh jaisa ki aap hamesha se hi likhti hai aur padhne wala pura padhe bina sans bhi lena bhool jata hai.

    bas me bhi track suit pahen kar alarm laga kar sone ja rahi hun...subhe aapka sath dene k liye.

    ha.ha.ha.

    chalo is bhane apne sunder aagra ki sair kar li aapne bina tax diye.
    shayad aise hi logo me sauhard ki bhawna badh jaye.

    ReplyDelete
  10. बहुत ही खुबसूरती से वर्णन किया है शाहजहाँ गार्डन का आपने .......!

    ReplyDelete
  11. सुबह या शाम की सैर के लिए इतनी अच्छी जगह मिल जाए तो मज़ा ही कुछ और है.... शाहजहाँ गार्डन के बारे में जानकार अच्छा लगा... सभी फोटो खुबसूरत हैं....

    ReplyDelete
  12. bahut hi shandar vivran diya aapane subah ke drashya ka aur garden mein rozana ki gatividhiyo ka
    pictures bhi kafi acche hain

    Thanks
    http://drivingwithpen.blogspot.in/

    ReplyDelete
  13. आपने तो इतनी शानी तो कैमरे में कैद कर लिया ... सुन्दत तस्वीरें हैं ..

    ReplyDelete
  14. सुन्दर एवं मनभावन चित्रावली!

    ReplyDelete
  15. साधना जी अब तो आगरा आना ही पडेगा लेकि जरा मौसम अच्छा हो जाये। शुभकामनायें।

    ReplyDelete
  16. hariali ke photographs bahut sundar hain

    ReplyDelete
  17. Thanks Pinky. Welcome to my blog.

    ReplyDelete