एकाकी चाँद
छिटके से सितारे
डूबी सी रात !
टीले के पीछे
मोहाविष्ट चाँदनी
शर्माया चाँद !
अँधेरी रात
चलती रही थाम
चाँद का हाथ !
दिखाये राह
भटके पथिक को
दयालु चाँद !
व्यथित विधु
धरा से गले मिल
बहाये अश्रु !
चाँद सलोना
चुपके से आ जाए
आधी रात में !
क्रोधित चंदा
धरने पर बैठा
अमावस्या को !
विधुवदनी
झील के दर्पण में
मुख निहारे !
ओस नहीं ये
सारी रात झरे हैं
चाँद के आँसू !
अकेला चाँद
अनगिनती तारे
नभांगन में !
चंदा चाँदनी
मेघों की ओट खेलें
आँख मिचौली !
कृष्ण सलोना
जसुदा माँ से माँगे
चाँद खिलौना !
देवी माँ दे दो
आँचल में खेलता
चंदा सा लाल !
चंदा ओ चंदा
क्या तेरी भी मैली है
आकाशगंगा ?
साधना वैद
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