Saturday, June 13, 2015

चंदा ओ चंदा


एकाकी चाँद 
छिटके से सितारे
डूबी सी रात ! 

टीले के पीछे 
मोहाविष्ट  चाँदनी 
शर्माया चाँद ! 

अँधेरी रात 
चलती रही थाम 
चाँद का हाथ !

दिखाये राह
भटके पथिक को 
दयालु चाँद ! 

व्यथित  विधु 
धरा से गले मिल 
बहाये अश्रु !

चाँद सलोना 
चुपके से आ जाए 
आधी रात में ! 

क्रोधित चंदा 
धरने पर बैठा 
अमावस्या को ! 

विधुवदनी
झील के दर्पण में 
मुख निहारे !

ओस नहीं ये 
सारी रात झरे हैं 
चाँद के आँसू ! 

अकेला चाँद 
अनगिनती तारे 
नभांगन में ! 

चंदा चाँदनी 
मेघों की ओट खेलें 
आँख मिचौली ! 

कृष्ण सलोना 
जसुदा माँ से माँगे 
चाँद खिलौना !

देवी माँ दे दो
आँचल में खेलता 
चंदा सा लाल !

चंदा ओ चंदा
क्या तेरी भी मैली है
आकाशगंगा ? 

साधना वैद






No comments:

Post a Comment