दूर है सूर्य
पथराई वसुधा
आ जाओ पास
थमा जीवन
धीमी हुई रफ़्तार
सर्दी के मारे
पेड़ों ने किया
बर्फ से उबटन
श्वेत सर्वांग
बर्फ का फर्श
बिछाया वसुधा ने
रवि के लिए
इंतज़ार में
हिम हुई धरिणी
आ जाओ रवि
पथ पे बर्फ
फिसलने का डर
रुका काफिला
अस्फुट स्वर
जमे हुए हैं अंग
प्रकोपी सर्दी
कर्म ही धर्म
मुस्तैद हैं जवान
देश रक्षा में
सूनी सड़कें
टिमटिमाते बल्ब
घना कोहरा
दुबके पंछी
माँ के पंखों के नीचे
ठण्ड के मारे
मारक सर्दी
अदरक की चाय
देती आराम
ठिठुरे लोग
ढाबे की गर्म चाय
जले अलाव
काँँपते हाड़
ठिठुरता बदन
बजते दाँत
सर्दी की भोर
क्षितिज पे उभरा
जकड़ा सूर्य
साधना वैद
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