चलो आज परिचय करें,
करें ज़रा कुछ गौर
कर्णधार कैसे मिले,
जनता के सिरमौर !
कितना ये सच बोलते,
कितनी करते फ़िक्र
कितना इनकी बात में,
देश काल का ज़िक्र !
कथनी करनी में बड़ा,
अंतर है श्रीमान
जिह्वा पर भगवान हैं,
अंतर में शैतान !
मिलते रंगे सियार
हैं, धर साधू का वेश
कैसे इनके जाल से,
बच पायेगा देश !
बच के रहना भाइयों,
शातिर को पहचान
इनके फेंके जाल में,
फँसना है आसान !
झूठे वादों का बहुत,
इनको है अभ्यास
इनकी बातों पर कभी,
मत करना विश्वास !
लुटा रहे हैं
गड्डियाँ, जी भर कर उपहार
मिल जाए सत्ता
इन्हें, किसी तरह इस बार !
है चुनाव के वास्ते,
इनका यह अवतार
फिर तुम इनको
ढूँढना, गली-गली हर द्वार !
थोड़ी सी खुशियाँ
अभी, फिर भारी नुक्सान
खुद ही करना सीख लो,
दुश्मन की पहचान !
झूठे हैं नेता सभी,
उथली इनकी सोच
लोकतंत्र के पैर में,
इसीलिये है मोच !
जैसे उगते सूर्य का,
होता है अवसान
नेता जी के तेज का,
अंत निकट लो जान !
साधना वैद
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