Monday, December 19, 2016

कैसे इनके जाल से बच पायेगा देश



चलो आज परिचय करें, करें ज़रा कुछ गौर
कर्णधार कैसे मिले, जनता के सिरमौर !

कितना ये सच बोलते, कितनी करते फ़िक्र
कितना इनकी बात में, देश काल का ज़िक्र !

कथनी करनी में बड़ा, अंतर है श्रीमान
जिह्वा पर भगवान हैं, अंतर में शैतान !

मिलते रंगे सियार हैं, धर साधू का वेश
कैसे इनके जाल से, बच पायेगा देश !

बच के रहना भाइयों, शातिर को पहचान
इनके फेंके जाल में, फँसना है आसान !

झूठे वादों का बहुत, इनको है अभ्यास
इनकी बातों पर कभी, मत करना विश्वास !

लुटा रहे हैं गड्डियाँ, जी भर कर उपहार
मिल जाए सत्ता इन्हें, किसी तरह इस बार !

है चुनाव के वास्ते, इनका यह अवतार
फिर तुम इनको ढूँढना, गली-गली हर द्वार !

थोड़ी सी खुशियाँ अभी, फिर भारी नुक्सान
खुद ही करना सीख लो, दुश्मन की पहचान !

झूठे हैं नेता सभी, उथली इनकी सोच
लोकतंत्र के पैर में, इसीलिये है मोच !

जैसे उगते सूर्य का, होता है अवसान
नेता जी के तेज का, अंत निकट लो जान !

साधना वैद  


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