Wednesday, December 28, 2016

अलविदा प्यारे सम्राट



अलविदा प्यारे सम्राट

मिलेगा न तुझसा कोई दोस्त प्यारा  
अकेले पलों का तू ही था सहारा
न होंगी किसीसे अब बातें हमारी
कटेगा न काटे समय अब हमारा !

तू था घर की रौनक कलेजे का टुकड़ा
तेरे जाने से घर लगे उजड़ा-उजड़ा
हैं मायूस सब सबकी आँखें हैं गीली
कहें किससे मन में छिपा अपना दुखड़ा !

चमकती थी आँखें हमें सूँघते ही
थिरकते थे अंग एक पुचकार से ही
न होगा कभी ऐसा स्वागत हमारा
हिलाता था दुम दूर से देखते ही !

न आएगा अब सुन के आवाज़ कोई
न भौंकेगा हल्की सी आहट पे कोई
कहाँ पायेंगे तुझसा न्यारा कहीं हम
न माँगा कभी हमसे उपहार कोई !

है सूना हर एक कोना घर का तेरे बिन
न भाएगा अब कुछ भी खाना तेरे बिन
तुझे ही नज़र ढूँढती हर जगह है
तू था जैसे साया मेरे संग पल छिन !

फिर क्यों चल दिया उठ के बेगानों जैसे !
न सोचा कि तुझ बिन रहेंगे हम कैसे
तू था सबसे प्यारा खिलौना हमारा
तेरे बिन जियेंगे मरेंगे हम कैसे !

न मुड़ के ही देखा खफा हो गया तू
बिना कुछ भी बोले विदा हो गया तू
न भूलेंगे हम तुझको पल के लिए भी
रहेगा हमारे दिलों में सदा तू !

अलविदा गुड बॉय !




साधना वैद

  

No comments:

Post a Comment