Sudhinama
Saturday, February 4, 2017
तेरा शुक्रिया
ज़िंदगी यूँ तो तेरी रहमत के हम क़ायल न थे
फिर भी जाने आज क्यूँ अहसान से दिल है भरा
हमको तो आदत थी खारों की चुभन की उम्र से
आज तूने खुशबुओं से भर दिया दामन मेरा !
साधना वैद
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