अंतहीन
सिन्धु सा तेरा अंतर माँ
सर्वोच्च
स्थान
आदि
शक्ति माता का
शाश्वत
सत्य
असीम नभ
अपरिमित
धरा
तेरा आलय
माँ
तेरी कृपा
अथाह सागर
सी
अपरम्पार
जग जननी
अगाध
तेरा प्यार
सुखी
संसार
दयामयी
माँ
बेहद दीन
पर
करम कर
ममतामयी
अंतहीन
सिन्धु सा
तेरा
अंतर
अनंत
शून्य
व्योम
तक विस्तीर्ण
तेरी
महिमा
शब्द
अशेष
कैसे हो
गुणगान
मैं
नादान माँ
करूँ
गुहार
माँ
तेरी ममता का
आर न पार
कैसे
समेटूँ
विपुल
तेरा प्यार
गयी मैं
हार
गाये
संसृति
चिरंतन
युग से
माँ की वन्दना
दीप
जलाऊँ
आरती
गाऊँ करूँ
माँ की
अर्चना
साधना
वैद
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