अपने सपनों को नई
ऊँचाई देने के लिये
मैंने बड़े जतन से टुकड़ा टुकड़ा आसमान
जोड़ा था
तुमने परवान चढ़ने से पहले ही मेरे पंख
क्यों कतर दिये माँ ?
क्या सिर्फ इसलिये कि मैं एक बेटी हूँ
?
अपने भविष्य को खूबसूरत रंगों से
चित्रित करने के लिये
मैने क़तरा क़तरा रंगों को संचित कर
एक मोहक तस्वीर बनानी चाही थी
तुमने तस्वीर पूरी होने से पहले ही
उसे पोंछ क्यों डाला माँ ?
क्या सिर्फ इसलिये कि मैं एक बेटी हूँ
?
अपने जीवन को सुख सौरभ से सुवासित
करने के लिये
मैंने ज़र्रा ज़र्रा ज़मीन जोड़
सुगन्धित सुमनों के बीज बोये थे
तुमने उन्हें अंकुरित होने से पहले ही
समूल उखाड़ कर फेंक क्यों दिया माँ ?
क्या सिर्फ इसलिये कि मैं एक बेटी हूँ
?
अपने नीरस जीवन की शुष्कता को मिटाने
के लिये
मैंने बूँद बूँद अमृत जुटा उसे
अभिसिंचित करने की कोशिश की थी
तुमने उस कलश को ही पद प्रहार से
लुढ़का कर गिरा क्यों दिया माँ ?
क्या सिर्फ इसलिये कि मैं एक बेटी हूँ
?
और अगर हूँ भी तो क्या यह दोष मेरा है
?
साधना वैद
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शुक्रवार 22 नवम्बर 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteआपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार यशोदा जी ! सप्रेम वन्दे !
Deleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (२३ -११ -२०१९ ) को "बहुत अटपटा मेल"(चर्चा अंक- ३५२८) पर भी होगी।
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
….
अनीता सैनी
आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार अनीता जी ! सप्रेम वन्दे !
Deleteमाँ का उत्तर : मैं तेरा दर्द समझती हूँ बिटिया ! पर क्या करूं? स्त्री-दमन की कुल-परंपरा तो मुझे भी निभानी ही होगी !
ReplyDeleteकटु सत्य को उद्घाटित करता बिलकुल सटीक प्रत्युत्तर गोपेश जी ! हार्दिक धन्यवाद एवं आभार आपका !
Deleteबहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद अनुराधा जी !
Deleteमहत्वपूर्ण प्रश्नों से टांक दिया मां को.. पर मां जवाब देगी भी तो क्या देगी कविता पढ़ने के बाद कुछ ऐसे ही प्रश्न मेरे दिमाग पर कौंध रहे हैं
ReplyDeleteमां और बेटी के बीच भावनात्मक रिश्ते को समझाते हुए बहुत ही अच्छी रचना आपने लिखी
हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार अनीता जी ! अच्छा लगा रचना आपके हृदय को स्पर्श कर सकी !
Deleteबहुत सुंदर रचना...
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद शुक्ला जी ! आभार आपका !
Delete
ReplyDeleteजय मां हाटेशवरी.......
आप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
आप की इस रचना का लिंक भी......
24/11/2019 रविवार को......
पांच लिंकों का आनंद ब्लौग पर.....
शामिल किया गया है.....
आप भी इस हलचल में. .....
सादर आमंत्रित है......
अधिक जानकारी के लिये ब्लौग का लिंक:
http s://www.halchalwith5links.blogspot.com
धन्यवाद
आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार कुलदीप जी ! सादर वन्दे !
Deleteबहुत बढ़िया
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद केडिया जी ! बहुत बहुत आभार !
ReplyDeleteउत्तम सृजन ,
ReplyDeleteसादर ...
हार्दिक धन्यवाद नीलांश जी ! आभार आपका !
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