संध्या के चेहरे पर पड़ा
खूबसूरत सिंदूरी चूनर का
यह झीना सा अवगुंठन
आमंत्रित कर रहा है
प्रियतम चन्द्रमा को कि
वह अपनी स्निग्ध किरणों की
सुकोमल उँगलियों से
सांध्य सुन्दरी के मुख पर पड़े
घूँघट के इस अवरोध को
हटा दे ,
और अपनी सम्पूर्ण ज्योत्सना
भव्यता और दिव्यता के साथ
विशाल गगन महल के
सुन्दर झरोखे पर आकर
अपनी प्रियतमा को दर्शन दे
प्रतीक्षा के इन विकल पलों की
अवधि को घटा दे !
संध्या की सतरंगी चूनर में
टाँकने के लिये लाखों सितारे
चन्द्रमा ने अपने हाथों से
गगन में बिखेर दिये हैं ,
और अनुरक्त प्रियतमा ने
वो सारे सितारे पुलक-पुलक कर
अपनी पलकों से दामन में
समेट लिये हैं !
चन्द्रमा की प्रतिदिन घटती बढ़ती
कलाओं के अनुरूप
संध्या के हृदय में भी
हर्ष और विषाद की मात्रा
नित्य घटती बढ़ती है ,
पूर्णिमा के दिन सर से पाँव तक
सोलह श्रृंगार कर दुल्हन सी
सजी अति उल्लसित संध्या
अमावस्या की रात में
विरहाकुल हो अपने
प्रियतम की प्रतीक्षा में
व्याकुल मलिन मुख
सारी रात रोती है !
संध्या और चन्द्रमा का
आकर्षण और विकर्षण
अनुराग और वीतराग का
यह खेल सदियों से
इसी तरह
चल रहा है ,
सुख के समय में
संयत रहने का और
दुःख के समय में धैर्य
धारण करने का सन्देश
हमें दे रहा है !
चित्र - गूगल से साभार
साधना वैद
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज गुरुवार 25 जून 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद शास्त्री जी ! दिल से आभार आपका ! सादर वन्दे !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद अनिल जी ! बहुत बहुत आभार !
Deleteइस कविता के माध्यम से आपने सांध्य का सुंदर वर्णन किया है।
ReplyDeleteरचना आपको अच्छी लगी मेरी श्रम सार्थक हुआ ! हार्दिक धन्यवाद एवं आभार आपका नीतीश कुमार जी !
Deleteबहुत सुंदर काव्य प्रस्तुति
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद राकेश जी ! उत्साहवर्धन के लिए बहुत बहुत आभार आपका !
Deleteसुंदर काव्य प्रवाह 🙏
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद रोली जी ! बहुत बहुत आभार आपका !
Deleteबहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद एवं हृदय से बहुत बहुत आभार आपका अभिलाषा जी ! उत्साहवर्धन हेतु आपका तहे दिल से शक्रिया !
Deleteआपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार गगन जी ! उत्साहवर्धन के लिए शुक्रिया !
ReplyDeleteआपका हार्दिक स्वागत है इस ब्लॉग पर नवीन जी ! हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार !
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