एक दुम वाले दोहे
बहती जलधारा कभी, चढ़ती नहीं पहाड़
एक चना अदना कहीं, नहीं फोड़ता भाड़ !
व्यर्थ मत पड़ चक्कर में !
चूर हुआ शीशा कभी, जुड़ता नहीं जनाब
मोती गिरता आँख से, खोकर अपनी आब !
कौन इसको चमकाए !
'राज' करेंगे जो दिया, 'राजनीति' का नाम
'दासनीति' कहिये इसे, और करायें काम !
नाम की महिमा भारी !
वाणी में विद्रूप हो, शब्दों में उपहास
घायल कर दे बात जो, यह कैसा परिहास !
कभी मत करो ठिठोली !
तुकांत दुम वाले दोहे
उगते सूरज को सभी, झुक-झुक करें सलाम
जीवन संध्या में हुआ, यश का भी अवसान !
सुनो क्या खूब कही है,
जगत की रीत यही है !
अंधा बाँटे रेवड़ी, फिर-फिर खुद को देय
जनता को भूखा रखें, 'नेता' का यह ध्येय !
मतलबी बड़े ‘सयाने’
घाघ ये बड़े पुराने !
नेता सारे एक से, किसकी खोलें पोल
अपनी ढकने के लिये, बजा रहे हैं ढोल !
चले जग को समझाने,
कोई न इनकी माने !
बाप न मारी मेंढकी, बेटा तीरंदाज़
नेताजी के पूत का, नया-नया अंदाज़ !
कौन इसको समझाये,
कहे सो मुँह की खाये !
भर जाते हैं ज़ख्म वो, देती जो तलवार
रहते आजीवन हरे, व्यंगबाण के वार !
ज़हर मत मन में घोलो
कभी तो मीठा बोलो !
जीवन जीने के लिये, ले लें यह संकल्प
सच्ची मिहनत का यहाँ, कोई नहीं विकल्प !
उठा सूरज काँधे पर,
चाँद तारे ला भू पर !
साधना वैद
यथार्थपरक, सुंदर दोहे..।मनोहारी अभिव्यक्ति..।
ReplyDeleteदोहे तो दोहे, दुम भी बेमिसाल
ReplyDeleteस्वागत है प्रतुल जी ! बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार आपका !
Deleteदोहे तो दोहे, दुम भी बेमिसाल
ReplyDeleteदोहे तो दोहे, दुम भी बेमिसाल
ReplyDeleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना आज शनिवार 12 दिसंबर 2020 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप सादर आमंत्रित हैं आइएगा....धन्यवाद! ,
आपका ह्रदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार श्वेता जी ! सप्रेम वन्दे !
Deleteआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (13-12-2020) को "मैंने प्यार किया है" (चर्चा अंक- 3914) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
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सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (13-12-2020) को "मैंने प्यार किया है" (चर्चा अंक- 3914) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
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सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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हार्दिक धन्यवाद शास्त्री जी !
Deleteसुन्दर सृजन।
ReplyDeleteआपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार शांतनु जी ! स्वागत है !
Deleteसुप्रभात
ReplyDeleteबहुत सुदर सृजन|मैंने तो पहली बार ही पढ़े हैं दुमदार दोहे |
यह भी एक विधा है सृजन की ! आधुनिक कवियों में हुल्लड़ मुरादाबादी का नाम मशहूर है दुमदार दोहों को लिखने में ! हार्दिक धन्यवाद जीजी ! बहुत बहुत आभार !
Deleteदमदार दुमदार दोहे! बहुत खुब!
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद !
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