आया है गणतंत्र का, शुभ दिन देखो आज
दुल्हन सी दिल्ली सजी, हर्षित सकल समाज !
संविधान की शान से, दिवस बन गया ख़ास
भारत में लागू हुआ, लोकतंत्र का राज !
गूँज रहे हैं पार्श्व में, देश भक्ति के गीत
उमड़ पड़ा सारा शहर, डरा न पाई शीत !
सीना फूला गर्व से, आँख अश्रु से लाल
मर के सम्मानित हुए, भारत माँ के लाल !
बढ़ते सीना तान के, पथ पे वीर जवान
कदम मिला कर चल रहे, ऊँट, अश्व अरु श्वान !
भारत संस्कृति की छटा, सैन्य शक्ति का जोश
देख विश्व विस्मित हुआ, प्रजा हुई मदहोश !
बच्चों के उत्साह की, महिमा अपरम्पार
गीत नृत्य और बैंड से, मोहा मन हर बार !
अद्भुत करतब देख के, दर्शक हैं हैरान
ध्वजा बनाते उड़ रहे, नभ में विकट विमान !
गज पर बैठे शान से, बच्चों के सरताज
उनके अद्भुत शौर्य पर, गर्वित हर जन आज !
अपने इस गणतंत्र से, हमें बहुत है प्यार
इसकी रक्षा हित सदा, मिटने को तैयार !
साधना वैद
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज बुधवार (27-01-2021) को "गणतंत्रपर्व का हर्ष और विषाद" (चर्चा अंक-3959) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी ! सादर वन्दे !
Deleteउम्दा रचना |जय गनतंत्र
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद जीजी ! गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं !
Deleteइसकी गरिमा बनी रहनी चाहिए
ReplyDeleteजी बिलकुल सहमत हूँ आपसे गगन जी ! कल की हिंसा और उपद्रव बड़ी गहरी चोट दे गए ! अपने ही देश में अपने ही देशवासियों की अपनी ही सरकार के खिलाफ यह अराजकता शर्मिन्दा कर गयी सभी भारतवासियों को विश्व बिरादरी के सामने !
Deleteआपने राजपथ की फेरी लगवा दी. वाह !
ReplyDeleteआपको आनंद आया मेरा श्रम सफल हुआ ! हार्दिक धन्यवाद आपका !
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