Thursday, January 28, 2021

चाय




सर्दी की रात 

ठिठका सा कोहरा 

ठिठुरा गात

 

कोई दे जाता

चाय का एक प्याला

ज़रा सी बात

 

 

तान के सोया 

 कोहरे की चादर 

पागल चाँद

 

काँपते हाड़

ठिठुरता बदन 

बजते दाँत 

 

मंदा अलाव 

कँपकँपाता तन 

झीने से वस्त्र

 

चाय का प्याला

शीत को भगाने का

है मूल मन्त्र


धरतीपुत्र

दिन रात करते

जी तोड़ काम

 

मारक सर्दी 

अदरक की चाय 

देती आराम 

 

ठंडी हवाएं 

सिहरता बदन

बुझा अलाव 

 

ठिठुरे लोग

ढाबे की गर्म चाय 

जले अलाव 

 

चाय का प्याला 

सर्दी की बिसात पे 

बौना सा प्यादा  

 

दे देता मात 

सर्दी के वज़ीर को

बन के दादा

 

गर्म रजाई

धरती की शैया पे 

 कहाँ से लाये 

 

चाय की प्याली 

सर्दी के दानव की

बैंड बजाये

 

 जो मिल जाए  

जला हुआ अलाव 

गरम चाय

 

ओ मेरे मौला

जीत लेंगे दुनिया

दे दे तू चाय !

 

साधना वैद  

 


14 comments:

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    1. हार्दिक धन्यवाद विकास जी ! आभार आपका !

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  2. आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार मीना जी ! सप्रेम वन्दे !

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  3. एक से बढ़कर एक हाइकु ।

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    1. तहे दिल से शुक्रिया अमृता जी ! बहुत बहुत आभार आपका !

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    1. हृदय से धन्यवाद आपका शान्तनु जी ! बहुत बहुत आभार !

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  5. हार्दिक धन्यवाद ज्योति जी! हृदय से बहुत बहुत आभार आपका !

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    1. हार्दिक धन्यवाद शिवम् जी ! बहुत बहुत आभार आपका !

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  7. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन  में" आज सोमवार 01 फरवरी 2021 को साझा की गई है.........  "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. बड़ी देर से देख पाई दिव्या जी ! खेद है ! आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार ! सप्रेम वन्दे !

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  8. हा हा हा मज़ा आ गया चाय का.

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    1. बहुत अच्छा लगा आपको आनंद आया ! हार्दिक धन्यवाद नूपुर जी ! आभार आपका !

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