अब तो आ जाओ
युग युगांतर से
तुम्हारा इंतज़ार करते करते
तुम्हें ढूँढ़ते ढूँढते न जाने
कितनी सीढ़ियाँ चढ़ कर
आ पहुँची थी मैं फलक तक
और बुक कर लिया था
आसमान का सबसे शानदार
सबसे मंहगा चन्द्रमहल
हमारे तुम्हारे लिए !
उसकी सबसे खूबसूरत
बड़ी सी छत पर
बिछा लिया था मैंने
यह सितारों टंका आलीशान कालीन
हमारे तुम्हारे शयन के लिए !
दिन पर दिन बीतते गए
पर तुम न आये !
मैं किराया न दे पाई
और ये चाँद भी रूठ गया
मेरा सारा सामान
बाहर फेंक दिया उसने और
अपने चन्द्र महल के लगभग
सारे ही कमरे बंद कर लिए !
बड़ी मिन्नत और चिरौरी के बाद
बस दो दिन की और
मोहलत दी है उसने
देख रहे हो ना मुझे
कितनी थक गयी हूँ मैं
जूझते जूझते !
बड़ी मुश्किल से टिकी हुई हूँ
दूज के इस चाँद का
एक दरवाज़ा थामे
इन दो दिनों में भी
जो तुम न आये तो
यह दरवाज़ा भी बंद हो जाएगा
चन्द्रमहल दृष्टि से ओझल हो जाएगा
और मैं आसमान से नीचे
गिर जाउँगी धरा पर
फिर कभी न उठने के लिए
इसलिए अब तो आ जाओ !
चित्र - गूगल से साभार
साधना वैद