चलो आज परिचय करें, करें ज़रा कुछ गौर
कर्णधार कैसे मिले, जनता के सिरमौर !
कितना ये सच बोलते, कितनी करते फ़िक्र
कितना इनकी बात में, देश काल का ज़िक्र !
कथनी करनी में बड़ा, अंतर है श्रीमान
जिह्वा पर भगवान हैं, अंतर में शैतान !
मिलते रंगे सियार हैं, धर साधू का वेश
कैसे इनके जाल से, बच पायेगा देश !
बच के रहना भाइयों, शातिर को पहचान
इनके फेंके जाल में, फँसना है आसान !
झूठे वादों का बहुत, इनको है अभ्यास
इनकी बातों पर कभी, मत करना विश्वास !
लुटा रहे हैं गड्डियाँ, जी भर कर उपहार
मिल जाए सत्ता इन्हें, किसी तरह इस बार !
है चुनाव के वास्ते, इनका यह अवतार
फिर तुम इनको ढूँढना, गली-गली हर द्वार !
थोड़ी सी खुशियाँ अभी, फिर भारी नुक्सान
खुद ही करना सीख लो, दुश्मन की पहचान !
झूठे हैं नेता सभी, उथली इनकी सोच
लोकतंत्र के पैर में, इसीलिये है मोच !
जैसे उगते सूर्य का, होता है अवसान
नेता जी के तेज का, अंत निकट लो जान !
साधना वैद
झूठे हैं नेता सभी, उथली इनकी सोच
ReplyDeleteलोकतंत्र के पैर में, इसीलिये है मोच !
सभी दोहे एक से बढ़ कर एक
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका केडिया जी ! हृदय से धन्यवाद !
Deleteआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज सोमवार 15 मार्च 2021 शाम 5.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteआपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार प्रिय यशोदा जी ! सप्रेम वन्दे !
Deleteबहुत सुन्दर सार्थक दोहे दीदी . अक्षरश: सत्य
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद गिरिजा जी ! बहुत बहुत आभार आपका !
Deleteसभी दोहे बहुत सुन्दर
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद संजय जी ! बहुत बहुत आभार आपका !
Deleteवाह , तीखी बात !
ReplyDeleteआज आपको अपने ब्लॉग पर देख कर बहुत उल्लसित हूँ सतीश जी ! स्वागत है आपका ! ह्रदय से धन्यवाद एवं आभार आपका !
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