छन्न पकैया छन्न पकैया, मुश्किल है अब जीना
ग़म ही ग़म इनके जीवन में, पड़ता आँसू पीना !
छन्न पकैया छन्न पकैया, बहती उलटी धारा
आसमान के नीचे इनका, कटता जीवन सारा !
छन्न पकैया छन्न पकैया, अब सुन लो त्रिपुरारी
दूर करो इनकी भव बाधा, विघ्न विनाशक हारी !
छन्न पकैया छन्न पकैया, तुमको आना होगा
मौसम की विपरीत मार से, इन्हें बचाना होगा !
छन्न पकैया छन्न पकैया, आने को दीवाली
भूखा रहे न कोई जग में, भर दो सबकी थाली !
छन्न पकैया छन्न पकैया, क्यों अनर्थ यह होता
कुछ की किस्मत में धन दौलत, भाग्य किसी का सोता !
छन्न पकैया छन्न पकैया, प्रगटो अब गिरिधारी
ध्यान धरो अपने भक्तों का, हर लो विपदा सारी !
छन्न पकैया छन्न पकैया, विकट समय यह कैसा
लाज बचा लो अपनी गिरिधर, करो पराक्रम
ऐसा !
साधना वैद
सुंदर भक्ति गीत. आप भी कृपा कर मेरे ब्लॉग में कमेंट जरुर दो ..मुझे आपका बल्ग देखने को नहीं मिलता..फिर आसानी रहेगी ..
ReplyDeleteजी ज़रूर ! हार्दिक धन्यवाद एवं बहुत बहुत आभार आपका !
Deleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद केडिया जी ! बहुत बहुत आभार आपका !
Deleteउम्दा रचना पढ़ने में आनंद आ गया|
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद जीजी ! बहुत बहुत आभार आपका !
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