Sunday, November 7, 2021

महारास




सुनो न कृष्ण

जब तुम आस पास होते हो,

जब गोकुल की गलियों में

तुम्हारी मुरली की मधुर धुन

सुनाई देने लगती है,

जब यमुना के तट पर गोपियों की

आह्लादित ठिठोलियों के स्वर

हवा में गूँजने लगते हैं

तब प्रकृति भी उल्लसित हो

उनके साथ संगत देने लगती है !

घटाओं की ताल पर बारिश की

रिमझिम बरसती बूँदें मधुर गीत

गुनगुनाने लगती हैं,

यमुना की चंचल लहरें तरंगित हो

गोपिकाओं के आँचल से

उलझने लगती हैं !

हवाओं के साथ तुम्हारी मुरली की तान

दूर दूर के प्रदेशों तक पहुँच जाती है

और हर पैर थिरक उठता है,

हर मनुज के अंतर में

प्रेम का सितार बज उठता है 

और तब सृजन होता है

उस दिव्य अलौकिक संगीत का

जिसकी लय पर हर गोपिका

तुम्हारी संगति में स्वयं को

राधा समझने लगती है !

फिर रचा जाता है एक महारास

जिसकी गूँज युगों युगों तक

इस धरा पर सुनाई देती है !

साधना वैद


12 comments:

  1. वाह! खूबसूरत प्रस्तुति।

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    1. हार्दिक धन्यवाद नितीश जी ! आभार आपका !

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  2. बहुत ही सुन्दर और भावों से भरी रचना साधना जी। सच में, प्रेम और अनुराग से सिक्त हर हृदय में भगवान कृष्ण निवास करते हैं। उनके प्रेम-पथ का के अनुशरणकर्ताओं के रुप में कान्हा का प्रेम सदा-सर्वदा जीवित रहा है। इस भावपूर्ण अभिव्यक्ति के लिए हार्दिक आभार और अभिनंदन 🙏❤️❤️🌷🌷

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    1. हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद आपका रेणु जी ! आपकी सराहना भरी टिप्पणी सदैव ऊर्जा जगा जाती है मेरे मन में ! दिल से आभार आपका !

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  3. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (08 -11-2021 ) को 'अंजुमन पे आज, सारा तन्त्र है टिका हुआ' (चर्चा अंक 4241) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। रात्रि 12:01 AM के बाद प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।

    चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।

    यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।

    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

    #रवीन्द्र_सिंह_यादव

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    1. आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार रवीन्द्र जी ! सादर वन्दे !

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  4. बहुत ही सुन्दर रचना

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    1. हार्दिक धन्यवाद केडिया जी ! आभार आपका !

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  5. जब कृष्ण आसपास होते हैं तब तो सब कुछ बदल ही जाता है, सुंदर वर्णन

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    1. हार्दिक धन्यवाद अनीता जी ! बहुत बहुत आभार आपका !

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  6. सुप्रभात
    बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति |

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    1. हार्दिक धन्यवाद जी ! बहुत बहुत आभार जीजी !

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