सुनो न कृष्ण
जब तुम आस पास होते हो,
जब गोकुल की गलियों में
तुम्हारी मुरली की मधुर धुन
सुनाई देने लगती है,
जब यमुना के तट पर गोपियों की
आह्लादित ठिठोलियों के स्वर
हवा में गूँजने लगते हैं
तब प्रकृति भी उल्लसित हो
उनके साथ संगत देने लगती है !
घटाओं की ताल पर बारिश की
रिमझिम बरसती बूँदें मधुर गीत
गुनगुनाने लगती हैं,
यमुना की चंचल लहरें तरंगित हो
गोपिकाओं के आँचल से
उलझने लगती हैं !
हवाओं के साथ तुम्हारी मुरली की तान
दूर दूर के प्रदेशों तक पहुँच जाती है
और हर पैर थिरक उठता है,
हर मनुज के अंतर में
प्रेम का सितार बज उठता है
और तब सृजन होता है
उस दिव्य अलौकिक संगीत का
जिसकी लय पर हर गोपिका
तुम्हारी संगति में स्वयं को
राधा समझने लगती है !
फिर रचा जाता है एक महारास
जिसकी गूँज युगों युगों तक
इस धरा पर सुनाई देती है !
साधना वैद
वाह! खूबसूरत प्रस्तुति।
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद नितीश जी ! आभार आपका !
Deleteबहुत ही सुन्दर और भावों से भरी रचना साधना जी। सच में, प्रेम और अनुराग से सिक्त हर हृदय में भगवान कृष्ण निवास करते हैं। उनके प्रेम-पथ का के अनुशरणकर्ताओं के रुप में कान्हा का प्रेम सदा-सर्वदा जीवित रहा है। इस भावपूर्ण अभिव्यक्ति के लिए हार्दिक आभार और अभिनंदन 🙏❤️❤️🌷🌷
ReplyDeleteहृदय से बहुत बहुत धन्यवाद आपका रेणु जी ! आपकी सराहना भरी टिप्पणी सदैव ऊर्जा जगा जाती है मेरे मन में ! दिल से आभार आपका !
Deleteनमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (08 -11-2021 ) को 'अंजुमन पे आज, सारा तन्त्र है टिका हुआ' (चर्चा अंक 4241) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। रात्रि 12:01 AM के बाद प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।
चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
#रवीन्द्र_सिंह_यादव
आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार रवीन्द्र जी ! सादर वन्दे !
Deleteबहुत ही सुन्दर रचना
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद केडिया जी ! आभार आपका !
Deleteजब कृष्ण आसपास होते हैं तब तो सब कुछ बदल ही जाता है, सुंदर वर्णन
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद अनीता जी ! बहुत बहुत आभार आपका !
Deleteसुप्रभात
ReplyDeleteबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति |
हार्दिक धन्यवाद जी ! बहुत बहुत आभार जीजी !
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