Sunday, July 16, 2023

अगर सा महकता अगरतला – १२

 


14 मई – अगरतला – एक अद्भुत ऐतिहासिक नगर

अनेकों रोमांचक पलों को समेटे १३ मई का दिन बीत चुका था और अगरतला के होटल एयर ड्राप के कमरा न. 309 में सुबह के सूरज ने अपनी दस्तक दे दी थी ! इतने दिनों के इतने विविधरंगी अनुभवों और घटनाक्रम के बाद भी न ज़रा भी जोश में कमी आई थी न उत्साह में ! सुबह की चाय पीते ही सैलानी वाले साँचे में हम ढल जाते और झटपट तैयार होकर नीचे डाईनिंग हॉल में नाश्ते के लिए पहुँच जाते ! हमारे ग्रुप की रचना पाण्डेय जी के हाथ में काफी दर्द था ! उनको रात वोलोनी स्प्रे और पेन किलर भी दिया था ! सुबह कुछ उन्नीस बीस का ही फर्क था ! डाईनिंग रूम में पर्याप्त ईंधन अपने उदर में डाल हम लोग अपनी अपनी गाड़ियों में सवार हो गए ! आज हमें त्रिपुरा की राजधानी अगरतला में घूमना था !

 अगरतला शहर की स्थापना 1850 में महाराज राधा कृष्ण किशोर माणिक्य बहादुर द्वारा की गई थी ! बांगलादेश की राजधानी ढाका से 90 किलोमीटर दूर एवं बांग्लादेश की सीमा से केवल दो किमी दूर स्थित यह नगर सांस्कृतिक रूप से भी बहुत समृद्ध है ! अगरतला त्रिपुरा के पश्चिमी भाग में स्थित है और हावड़ा नदी  शहर से होकर गुजरती है ! अगरतला उस समय प्रकाश में आया जब माणिक्य वंश ने इसे अपनी राजधानी बनाया ! 19वीं शताब्दी में कुकी प्रजाति के लुटेरों के लगातार हमलों से परेशान होकर महाराज कृष्ण माणिक्य ने उत्तरी त्रिपुरा के उदयपुर स्थित रंगामाटी से अपनी राजधानी को अगरतला स्थानान्तरित कर दिया ! राजधानी बदलने का एक और कारण यह भी था कि महाराज अपने साम्राज्य और पड़ोस में स्थित ब्रिटिश बांग्लादेश के साथ संपर्क बनाने चाहते थे ! आज अगरतला जिस रूप में दिखाई देता है  दरअसल इसकी परिकल्पना 1940 में महाराज बीर बिक्रम किशोर माणिक्य बहादुर ने की थी ! उन्होंने उस समय सड़क, मार्केट बिल्डिंग और नगरनिगम की योजना बनाई ! उनके इस योगदान को देखते हुए ही अगरतला को ‘बीर बिक्रम सिंह माणिक्य बहादुर का शहर’ भी कहा जाता है ! शाही राजधानी और बांग्लादेश से नजदीकी होने के कारण अतीत में कई प्रसिद्ध व्यक्तियों ने अगरतला का भ्रमण किया !  रवीन्द्रनाथ ठाकुर कई बार अगरतला आए ! उनके बारे में कहा जाता है कि त्रिपुरा के राजाओं के साथ उनके काफी घनिष्ठ संबंध थे ! सुप्रसिद्ध संगीत निर्देशक एस डी बर्मन अगरतला के ही रहने वाले थे और यहाँ के राजघराने से सम्बद्ध थे !

अगरतला दो शब्दों के योग से बना हुआ शब्द है ‘अगर+तला ! ‘अगर’,  जो एक मूल्यवान इत्र अर्थात जीनस एक्वलारिया का धूप का पेड़ है, और ‘तला’ का अर्थ है ऐसा क्षेत्र जिसमें अगरवुड के पेड़ों का घनत्व सबसे अधिक हो ! अगर के पेड़ को ऐतिहासिक रूप से राजा रघु की कहानी के रूप में भी जाना जाता है, जिन्होंने अपने हाथी के पैर को लाहिता नदी के किनारे एक अगर के पेड़ से बाँध दिया था ! यहाँ के हेरीटेज पार्क में हमने अगर के पेड़ को भी देखा जिसके सौजन्य से इस शहर का नामकरण ‘अगरतला हुआ ! अगरतला शहर त्रिपुरा सरकार की सीट है और गुवाहाटी के बाद नॉर्थ ईस्ट का दूसरा सबसे बड़ा शहर है !

अगरतला शहर का रियासतकाल के पहले के समय से एक अलग प्रकार का इतिहास था ! यह एक रियासत थी जो बांग्लादेश के साथ जुड़ी हु थी ! इसका विकास तुलनात्मक रूप से बहुत देर से हुआ ! महाराजा बीर बिक्रम किशोर देबबर्मन को अगरतला के वर्तमान में नियोजित शहर का संस्थापक कहा जाता है। वह यूनाइटेड किंगडम में एक दौरे के लिए गए थे और अपने राज्य में लौटने के बाद उन्होंने फैसला किया कि वह यूके की छवि के अनुरूप ही अगरतला को भी बनायेंगे !

1940 के दशक के दौरान शहर का योजनाबद्ध तरीके से नवीनीकरण किया गया और नई सड़कों, बाजारों और भवनों को व्यवस्थित रूप से बनाया गया ! यहाँ की आबादी लगभग 4.38 लाख है ! यहाँ की राजकीय भाषा बांग्ला, कोकबोरोक और इंग्लिश है ! इनके अलावा यहाँ पर मोघ, चकमा और हिन्दी भी बोली जाती है ! यहाँ लगभग 94 % हिन्दू, 5% मुस्लिम एवं लगभग 1% ईसाई लोगों की आबादी है ! यह शहर सांस्कृतिक रूप से भी बहुत समृद्ध है ! यहाँ का खान पान भी बहुत निराला और स्वाद से भरपूर है ! यह एक धार्मिक नगरी है और यहाँ बहुत ही प्राचीन एवं सुन्दर मंदिर भी हैं और भवन भी हैं !

यहाँ का राजमहल उजयंत पैलेस बहुत ही आलीशान है और उसमें बहुत ही सुन्दर एवं बेमिसाल संग्रहालय भी है ! यहाँ की सुन्दर झीलें, खूबसूरत बगीचे और ऐतिहासिक इमारतें इसकी सुन्दरता में चार चाँद लगा देते हैं ! राजस्थान के उदयपुर से प्रेरणा लेकर यहाँ भी रुद्रसागर झील में एक अद्भुत महल का निर्माण किया गया जो नीरमहल के नाम से विख्यात है ! इस महल की खूबसूरती वर्णनातीत है ! यहाँ का हेरीटेज पार्क और अलबर्ट एक्का वार मेमोरियल बहुत ही अविस्मरणीय पर्यटन स्थल हैं जिनकी विजिट हमारे मन को अकथनीय गर्व से भर देती है ! जगन्नाथ मंदिर, चौदह देवी अथवा चतुर्दश मंदिर, लक्ष्मीनारायण मंदिर, भुवनेश्वरी मंदिर, त्रिपुर सुन्दरी मंदिर, इसकोन का हरे रामा हरे कृष्णा मंदिर, और पोर्तुगीज चर्च आदि अनेकों दर्शनीय स्थल हैं जिनकी सैर मैं आपको अपनी अगली पोस्ट्स में करवाने वाली हूँ !

यह खूबसूरत शहर, सड़क मार्ग, रेल मार्ग एवं हवाई मार्ग से देश विदेश के विभिन्न महत्वपूर्ण शहरों से जुड़ा हुआ है ! इस अनूठी नगरी की सैर निश्चित रूप से बहुत ही आनंददायक तो है ही हमें भी अनुभव के स्तर पर बहुत अधिक समृद्ध कर जाती है ! आज तो आपको सिर्फ अगरतला शहर के इतिहास और इसकी भोगौलिक संरचना की जानकारी मैंने आपको दी है ! कल हम चलेंगे यहाँ के चुनिन्दा बेहद सुन्दर पर्यटन स्थलों की सैर के लिए ! तो तैयार रहिये मेरे साथ घूमने के लिए ! आज मुझे इजाज़त दीजिये ! शुभ रात्रि !

 

साधना वैद

 

 


2 comments:

  1. सुंदर जानकारी। आभार।

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    1. हार्दिक धन्यवाद विश्वमोहन जी ! बहुत बहुत आभार आपका !

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