Saturday, May 18, 2024

कटघरा

 




आज फिर तुम मुझे घेर कर
कटघरे में खड़ा करना चाहते हो
मेरे हर जवाब, हर तर्क,
हर सफाई, हर गवाही की
धिज्जियाँ उड़ा उन्हें
फूँक मार हवा में उड़ाना चाहते हो !
और करना चाहते हो
अपनी हर मंशा पूरी
मुझे अपमानित करने की,
मुझे प्रताड़ित करने की
और मुझे पराजित करने की !
करना चाहते हो तो देख लो करके
यह भी कोशिश
इस बार तुम्हें सिर्फ और सिर्फ
मायूसी ही हाथ लगेगी
अपनी हर जिरह, हर बहस, हर कुचाल
मुँह के बल ज़मीन पर
औंधी पड़ी तुम्हें मिलेगी !
क्योंकि अब हमें तुम्हारी हर चाल का
जवाब देना आ गया है
कटघरे की इन दीवारों के बीच
सालों खड़े रहने के बाद  
हमें तुम्हारे अनर्गल प्रलाप की निरर्थकता
और अपने मौन की सुदृढ़ किलेबंदी का
महत्त्व समझ में आ गया है
अब हमें तुम्हारे माथे पर लिखी
हार की इबारत में  
अपनी जीत का जश्न मनाने का
सलीका आ गया है !

साधना वैद   


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