Saturday, June 26, 2010

मेरे पापा


प्रशांत और श्रेयस
मेरे छोटे से पोते प्रशांत की यह आकांक्षा है कि वह अपने पापा जैसा बनना चाहता है ! उसकी इच्छा को मैंने यहाँ शब्द देने का प्रयास किया है !

दादी मुझको पापा जैसा बनना है !


मेरे पापा कितने अच्छे जब वो घर में आते हैं,

कितने सारे खेल खिलौने, टॉफ़ी बिस्किट लाते हैं,

आते ही गोदी ले लेते मुझसे लाड़ लड़ाते हैं,

मेरी सारी बातें सुन कर कितना खुश हो जाते हैं !

'लव यू बेटा', 'लव यू जानू' पापा से ही सुनना है !


दादी मुझको पापा जैसा बनना है !



मम्मी जब गुस्सा करती हैं उनसे भी भिड़ जाते हैं,

कान पकड़ कर भैया का वो उसको भी धमकाते हैं,

कंधे पर बैठा कर मुझको घर की सैर कराते हैं,

जब भी मेरा मन करता है घोड़ा भी बन जाते हैं !

मेरे पापा सबसे अच्छे सबसे मेरा कहना है


दादी मुझको पापा जैसा बनना है !


होमवर्क की झंझट से पापा ही जान बचाते हैं,

चंदा, तारे, धरती, सागर सबकी बात बताते हैं,

हम सबको मेले ले जाकर झूला खूब झुलाते हैं,

दुनिया भर की सारी बातें वो ही तो बतलाते हैं,

मुझको तो पापा के जैसा ज्ञानवान ही बनना है !


दादी मुझको पापा जैसा बनना है !


पापा जब ऑफिस जाते हैं कितने अच्छे लगते हैं,

उन पर सब कपड़े फबते हैं कितने 'डैशिंग' लगते हैं,

लैप टॉप, मोबाइल लेकर जब गाड़ी में चढ़ते हैं,

मुझको हर हीरो से बढ़ कर अपने पापा लगते हैं,

उनके जैसा और न कोई मुझको वैसा बनना है !


दादी मुझको पापा जैसा बनना है !

प्रशांत की इच्छा !



साधना वैद








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9 comments:

  1. मम्‍मी पापा तो बच्‍चों के आदर्श होते ही हैं .. आपने उनकी भावनाओं को बहुत सुंदर अभिव्‍यक्ति दी है!!

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  2. बढ़िया बच्चों की कविता.

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  3. तस्वीर भी बेहतरीन फिक्स हो गई है. बधाई.

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  4. mujhe to mummy jaisa banna hai... :)

    really good and inspiration for children.

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  5. बहुत बढिया. .
    पापा के आदर्शों को इस बहाने बच्चे जानेंगे तो

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  6. कविता पढ़ कर बहुत मजा आया | भई अब तो उन
    दौनों से मिलने का बहुत मन हो रहा है |
    आशा

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  7. पहले तो दो शरारती और प्यारे बच्चों के चेहरे से नज़रें हटाने को तैयार ही नहीं...कि कविता पढूँ :)
    कविता पढ़कर और मन खुश हो गया...एकदम गाने लायक कविता....उनकी भावनाओं को सुन्दर शब्दों में बाँधा है.

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  8. प्यारे प्यारे बच्चों कि प्यारी बैटन को सुन्दर काव्य रूप दिया है...बहुत बढ़िया

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  9. AAPNE ITNI SUNDER RACHNA PRASTUT KI HAI KI MUJHE TO JAISE KANO ME PRASHANT KI AWAZ GUNZ RAHI HE.

    HAR BACCHA CHAHE VO LADKI HO YA LADKA SAB APNE PAPA KO IDEAL ROOP ME HI DEKHTE HAIN.

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