Thursday, July 26, 2012

ऐ मेरे वतन के लोगों ज़रा आँख में भर लो पानी !

 

ऐ मेरे वतन् के लोगो! तुम खूब लगा लो नारा !
ये शुभदिन है हम सबका! लहरा लो तिरंगा प्यारा
पर मत भूलो सीमा पर! वीरों ने है प्राण गँवाए!
कुछ याद उन्हें भी कर लो -२! जो लौट के घर न आए -२
ऐ मेरे वतन के लोगो! ज़रा आँख में भरलो पानी!
जो शहीद हुए हैं उनकी! ज़रा याद करो क़ुरबानी |प|
जब घायल हुआ हिमालय! खतरे में पड़ी आज़ादी!
जब तक थी साँस लड़े वो! फिर अपनी लाश बिछादी
संगीन पे धर कर माथा! सो गये अमर बलिदानी!
जो शहीद हुए हैं उनकी! ज़रा याद करो क़ुरबानी |१|
जब देश में थी दीवाली! वो खेल रहे थे होली!
जब हम बैठे थे घरों में! वो झेल रहे थे गोली
थे धन्य जवान वो अपने! थी धन्य वो उनकी जवानी!
जो शहीद हुए हैं उनकी! ज़रा याद करो क़ुरबानी |२|
कोई सिख कोई जाट मराठा -२! कोई गुरखा कोई मदरासी -२!
सरहद पे मरनेवाला! हर वीर था भारतवासी
जो ख़ून गिरा पर्वत पर! वो ख़ून था हिंदुस्तानी!
जो शहीद हुए हैं उनकी! ज़रा याद करो क़ुरबानी |३|
थी खून से लथपथ काया! फिर भी बन्दूक उठाके!
दस-दस को एक ने मारा! फिर गिर गये होश गँवा के
जब अन्त समय आया तो! कह गये के अब मरते हैं!
ख़ुश रहना देश के प्यारो -२! अब हम तो सफ़र करते हैं -२
क्या लोग थे वो दीवाने! क्या लोग थे वो अभिमानी!
जो शहीद हुए हैं उनकी! ज़रा याद करो क़ुरबानी |४|
तुम भूल न जाओ उनको! Bold textइसलिये कही ये कहानी!
जो शहीद हुए हैं उनकी! ज़रा याद करो क़ुरबानी
जय हिन्द। जय हिन्द की सेना -२!
जय हिन्द, जय हिन्द, जय हिन्द||[3]
"Aye Mere Watan Ke Logo" (ऐ मेरे वतन के लोगों; "O! the people of my country!") is an Indian patriotic song written in Hindi by Kavi Pradeep and composed by C. Ramchandra commemorating Indian soldiers who died during the Sino-Indian War. It was famously performed live by Lata Mangeshkar in the presence of Prime Minister Jawaharlal Nehru at the Ramlila grounds in New Delhi on Republic Day (26 January) 1963, several months after the end of the war.[1] A copy of the soundtrack spool was also gifted to Nehru on the occasion. According to popular legend, Nehru was moved to tears by the song.
The lyrics of the song not only reflected Kavi Pradeep's sentiments but his nationalistic thinking of the country at large. With singer Lata Mangeshkar and composer C Ramchandra he brought tears to every eye including Nehru's.
None of the artists and technicians involved with the song — including singers, musicians, music director, lyricist, recording studio, sound recordist — charged for the song, and later, lyricist Kavi Pradeep pledged the royalty of the song to the 'War Widows Fund'

महान क्रांतिकारी रामप्रसाद बिस्मिल की इन पंक्तियों को तोड़ने मरोड़ने की धृष्टता की क्षमा याचना के साथ ,

शहीदों की चिताओं पर लगेंगे किस बरस मेले
वतन पे मरने वालों का कभी कोई निशाँ होगा ?

कहीं ऐसा तो नहीं जिन शहीदों के बलिदान के लिए हमें कृतज्ञ एवं आभारी होना चाहिए हम उन्हें भुला बैठे हैं ! ज़रा अपना ह्रदय टटोल कर देखिये !

साधना वैद

6 comments:

  1. ब्लॉगर निर्मला कपिला ने कहा…

    शहीदों को सादर नमन।

    26 जुलाई 2012 10:29 am
    हटाएं
    ब्लॉगर निर्मला कपिला ने कहा…

    शहीदों को सादर नमन।

    26 जुलाई 2012 10:29 am
    हटाएं
    ब्लॉगर संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

    यह गीत मन को हमेशा झकझोर देता है .... शहीदों को नमन ....

    26 जुलाई 2012 11:18 am
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    ब्लॉगर सदा ने कहा…

    शहीदों को सादर नमन ... भामवय करता गीत

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  2. बहुत दिनों से इस बात पर मैं भी मंथन कर रहा हूँ .. न जाने क्यों नयी पीढ़ी अब देशभक्ति के नगमों को पसंद नहीं करती...!!!

    देशभक्ति की भावना को भरना शायद ही किसी का उद्देश्य रह गया है..

    देशभक्ति के नाम पर क्रिकेट मैच कराने तक सिमट कर रह गये हैं 'नेता' और अभिनेता'

    देशभक्ति के गानों में भी 'शाहदत' को कम तवज्जो मिल रही है.

    पाठ्यपुस्तकों से धीरे-धीरे बहुत कुछ गायब किया जा रहा है.

    - बाल-शिक्षा में से 'राष्ट्र', 'भारत' जैसे शब्द पूरी तरह नकारे जा रहे हैं.

    आज एक गीत जो हम कभी अपने बचपन में गाते थे..

    "माँ मुझको बन्दूक दिला दो, मैं भी लड़ने जाऊँगा.

    मर जाऊँगा, मिट जाऊँगा, भारत की शान बढ़ाऊँगा."

    "नन्हा-मुन्ना रही हूँ, देश का सिपाही हूँ.

    बोलो मेरे संग, जय हिंद, जय हिंद. जय हिंद."


    साधना जी,

    आपने बचपन की यादें ताज़ा कर दीं.

    हम अपने बचपन में जिन गीतों को याद किया करते थे...और स्कूलों में होने वाली 'बाल-सभाओं' में सुनाया करते थे.. उन्हीं गीतों में से ये भी एक है...

    "कर चले हम फ़िदा जान-ओ-तन साथियो!

    अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो! ..."

    "वतन की राह में वतन के नौजवान शहीद हों....:"

    "सारे जहाँ से अच्छा हिन्दुस्तां हमारा...."

    "ताकत की वतन की हमसे है.. हिम्मत वतन की हमसे है...इंसान के हम रखवारे."

    न जाने कितने ही गीत हैं... जो हमारी पसंद हुआ करते थे... लेकिन "ऐ मेरे वतन के लोगो, ज़रा आँख में भर लो पानी" सचमुच में सिहरन पैदा कर देता था तब भी.

    आज के बच्चे और युवा शायद ही उन शारीरिक अनुभावों से परिचित हुए हों.... जिनसे कभी हम थे?

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  3. शहीदों को नमन |
    यह गीत बहुत मन को छूता है |
    आशा

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  4. @आपकी प्रतिक्रिया मन को गहराई तक छू गयी ! आपकी आभारी हूँ प्रतुल जी कि आपने मेरे मन की भावनाओं को समझा ! अगले माह हम अपनी आज़ादी की पैंसठवी सालगिरह मनाने जा रहे हैं ! जैसे वृद्ध लोगों की बातें आज की पीढ़ी के लिए बेमानी और निरर्थक होती जा रही हैं उसी तरह देशभक्ति, राष्ट्र प्रेम, भारत माता, आजादी के लिए बलिदान देने वाले शहीदों के प्रति सम्मान एवं कृतज्ञता की भावना जैसी बातें अब अपने अर्थ खो चुकी हैं ! इसके लिए कितना अफ़सोस और क्षोभ है इसे बताना असंभव है ! आप संगीत प्रेमी जान पड़ते हैं ! मेरा एक ब्लॉग और है 'तराने सुहाने' !इसमें मैं लगभग रोज एक भूला बिसरा गीत डालती हूँ ! यह महीना सावन के गीतों को समर्पित था ! अगला माह देशभक्ति के गीतों के लिए समर्पित होगा ! जिनमें आप वे सभी गीत सुन सकेंगे जो आपने अपनी टिप्पणी में उद्धृत किये हैं क्योंकि ये गीत मुझे भी बहुत पसंद हैं ! मेरे दूसरे ब्लॉग पर भी आपके आगमन की प्रतीक्षा रहेगी ! साभार !

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  5. साधना जी, आपने बहुत कुछ याद दिला दिया| आपको खुश होना चाहिए कि कम से कम प्रयास के बच्चे तो इन गीतों को याद भी रखते हैं और प्रस्तुति भी देते हैं |
    बीना

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