Tuesday, September 8, 2020

खूँटा

 



तुमने ही तो कहा था 
कि मुझे खुद को तलाशना होगा 
अपने अन्दर छिपी तमाम अनछुई 
अनगढ़ संभावनाओं को सँवार कर 
स्वयं ही तराशना होगा 
अपना लक्ष्य निर्धारित करना होगा 
और अपनी मंजिल भी 
खुद ही तय करनी होगी 
मंजिल तक पहुँचने के लिए 
अपने मार्ग को भी मुझे स्वयं ही 
सुगम बनाना होगा 
राह के सारे कंकड़ पत्थर चुन कर 
मार्ग को अवरुद्ध करने वाले 
सारे कटीले झाड़ झंखाड़ों को साफ़ कर ! 
मैंने तुम्हारे हर वचन को 
पूरी निष्ठा के साथ शिरोधार्य किया ! 
हर आदेश निर्देश को पूरी ईमानदारी 
और समर्पण भाव से निभाया ! 
देखो ! मेरे पास आओ ! 
मैंने तलाश लिया है खुद को 
सँवार ली है अपने अन्दर छिपी प्रतिभा 
निर्धारित कर लिया है अपना लक्ष्य 
तय कर ली है अपनी मंजिल और 
रास्ता भी सुगम बना लिया है ! 
लेकिन सब उद्दयम व्यर्थ हुआ जाता है
एक कदम भी मैं इस सुन्दर, 
सजे संवरे प्रशस्त मार्ग पर 
बढ़ा नहीं पा रही हूँ !
वर्षों से इसी एक स्थान पर 
रहने के उपरान्त भी अभी तक 
यह नहीं खोज पाई कि 
जिन श्रंखलाओं ने इतनी लम्बी अवधि तक 
मुझे एक कैदी की तरह यहाँ 
निरुद्ध कर रखा है उसका खूँटा 
कहाँ गढ़ा हुआ है 
यहीं कहीं ज़मीन में 
या फिर मेरे मन में !


साधना वैद

6 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (09-09-2020) को   "दास्तान ए लेखनी "    (चर्चा अंक-3819) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --  
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'  
    --

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    1. आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवम् आभार शास्त्री जी! सादर वन्दे !

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  2. सत्य है
    खूंटा सदा गड़ा ही रहता है

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    1. हार्दिक धन्यवाद अनीता जी ! बहुत बहुत आभार आपका !

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  3. आदरणीया साधना वैद जी, नमस्ते! बहुत अच्छी रचना!
    मुझे एक कैदी की तरह यहाँ
    निरुद्ध कर रखा है उसका खूँटा
    कहाँ गढ़ा हुआ है
    यहीं कहीं ज़मीन में
    या फिर मेरे मन में ! लाजवाब!
    मैंने आपका ब्लॉग अपने रीडिंग लिस्ट में डाल दिया है। कृपया मेरे ब्लॉग "marmagyanet.blogspot.com" अवश्य विजिट करें और अपने बहुमूल्य विचारों से अवगत कराएं।
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    सादर!--ब्रजेन्द्रनाथ

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    1. हार्दिक धन्यवाद मर्मज्ञ जी ! बहुत बहुत आभार आपका !

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