Sunday, February 25, 2024

बसंत ऋतु

 

   


         


खिला पलाश

झूमा अमलतास

मन हर्षाया


उल्लास छाया 

सकल जगत में 

वसंत आया


दहका टेसू

लटकाये फानूस 

दीपित वन 


हर्षित सृष्टि 

उल्लसित धरती 

सँवारे तन 


आये मदन 

गाने लगे विहग 

स्वागत गान 


विस्मित प्राण 

अनुरक्त वसुधा 

फूलों के बाण 


आ गए कन्त 

करने अभिसार 

धरा तैयार 


गूँथ ली वेणी 

सजा लिए तन पे 

फूलों के हार 


फूली सरसों

डाल डाल पुष्पित  

महके बाग़ 


धरती खेले 

मनोहर रंगों से 

पी संग फाग 


साधना वैद 






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