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आजकल हर घर में, हर संस्थान में, हर ऑफ़िस, होटल, रेस्टोरेंट में यहाँ
तक कि शहर की सडकों पर भी बिजली का जम कर दुरुपयोग हो रहा है ! घरों में दिन की
पर्याप्त रोशनी के बाद भी सारे दिन बिजली जलती है ! पहले भवन निर्माण के समय इस
बात का ध्यान रखा जाता था कि हर कमरे में पर्याप्त रोशनी और हवा आए ! लेकिन अब
खिड़की दरवाजों पर भारी भारी परदे लटका कर कमरों को डार्क बनाने की कोशिश की जाती
है ! खिड़कियों के शीशों पर पेंटिंग करके या रंगीन कागज़ लगा कर रोशनी को अवरुद्ध
किया जाता है ! फिर सारे दिन घर में बिजली के बल्ब जला कर रोशनी की जाती है ! पहले
सुबह शाम लोग बाहर बगीचों में पार्क्स में घर की छतों पर या बालकनी में हवाखोरी के
लिए निकल आते थे लेकिन अब सारे दिन अपने कमरों में घुसे रहते हैं A. C. के सामने पहले घरों को ठंडा करने के लिए खस के पर्दे या
टट्टियाँ लगाई जाती थीं जो बाहर की गर्म हवा को बिलकुल ठंडा करके अन्दर भेजती थीं ! इस व्यवस्था में बिजली की खपत ज़ीरो होती थी ! बस दिक्कत यही थी कि खस के पर्दों को दिन में कई
बार पानी से भिगोना पड़ता था ! इससे कमरे भी गीले हो जाते थे और काम भी बढ़ता था
लेकिन बिजली की ज़रुरत नहीं होती थी ! पर सुविधाभोगी इंसान ने इन्हें हटा कर ए. सी. लगाना शुरू कर दिया और अपना बिजली का बिल कई गुना बढ़ा लिया !
पहले पत्थर के सिल बट्टे पर चटनी
मसाले पीसे जाते थे और क्या ही
लाजवाब पीसे जाते थे ! हर खाने का ज़ायका ही ज़बरदस्त होता था ! बर्तनों में ठंडी लस्सी शरबत बनाए जाते थे, चूल्हे, अंगीठी पर या पानी के गरमे में नहाने धोने के लिए
पानी गरम किया जाता था लेकिन अब किचिन में एक दिन भी मिक्सर ग्राइंडर काम न करे और
बाथरूम का गीज़र खराब हो जाए तो तहलका मच जाता है ! अब तो किचिन में माइक्रोवेव, इलेक्ट्रिक प्रेशर कुकर, ओ, टी, जी, कुकिंग रेंज और
इन्डक्शन चूल्हा आदि अनिवार्य रूप से शुमार हो चुके हैं जो सभी बिजली से चलते
हैं ! इलेक्ट्रिक टोस्टर, सैंडविच मेकर आदि तो उतने ही ज़रूरी हैं जैसे तवा कढ़ाई, चकला, बेलन !
घर के हर छोटे बड़े सदस्य के पास मोबाइल फोन है और सारे मोबाइल फोन बिजली से
चार्ज होते हैं ! घर में जितने भी सॉकेट हैं कोई भी कभी खाली नहीं मिलता ! किसी पर
फोन, किसी पर टॉर्च, किसी पर मच्छर मारने का रैकिट तो किसी पर पॉवर बैंक चार्जिंग के लिए लगे होते
हैं ! छोटे-छोटे बच्चों के लिए भी तरह-तरह के इलेक्ट्रॉनिक गेम्स आने लगे हैं जिन्हें चलाने के लिए भी बिजली की ज़रुरत होती है ! इतनी दरियादिली के साथ बिजली का उपयोग करने के बाद बिजली का बिल नियंत्रित रहे और बजट में ही आये यह कैसे हो सकता है !
दरअसल हमने प्राकृतिक वातावरण में रहना बिलकुल ही बंद कर दिया है और जिस कृत्रिम जीवन पद्धति को हमने अपनाया है वह पूरी तरह से बिजली से ही चलती है तो बिजली का बिल भी
बढ़ेगा और उसका दुरुपयोग भी होगा ! बच्चे भी इसी जीवन पद्धति के आदी हैं ! स्विच ऑन
करने के बाद किसीको भी ऑफ करने का ध्यान नहीं रहता और बिजली का मीटर बेतहाशा दौड़ता
रहता है ! अब तो कारें भी ऐसी प्रचलन में आ गयी हैं जो पेट्रोल डीज़ल के स्थान पर
बिजली से चलती हैं ! उनकी बैटरी चार्ज करने के लिए बिजली की बड़ी खपत होती है ! ऐसे
में जब तक हम लोग कमर कस कर इस ओर ध्यान नहीं देंगे बिजली के दुरुपयोग को रोकना
संभव नहीं होगा !
हमारे देश में धूप की कोई कमी नहीं है ! हमें अपने घरों में सोलर पैनल लगा कर
बिजली बनाने के लिए सौर ऊर्जा का इस्तेमाल करना चाहिए ! बच्चों को बिजली का
दुरुपयोग करने से रोकना चाहिए और उनसे सख्ती के साथ इस बात का पालन करवाना चाहिए
कि वे जब भी कमरे से बाहर निकलें तो बिजली के स्विच ऑफ़ करके ही निकलें ! ध्यान
रखा जाएगा तो बिजली के बिगड़े बजट को कुछ हद तक नियंत्रित किया जा सकेगा !
साधना वैद