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Saturday, May 24, 2025

क्या हुआ रवि महाराज ... उलाहना

 




किसी काम के नहीं निकले तुम भी
भुवन भास्कर !
हैरान हूँ, कुंठित हूँ
, कुपित हूँ तुम्हारा यह
लिजलिजा सा रूप देख कर !
जब आया समय परीक्षा का
हो गए तुम भी बुरी तरह फेल,
छूट गए पसीने तुम्हारे भी
जैसे डाल दी गयी हो
तुम्हारी नाक में भी नकेल !
जब परखा गया तुम्हारा पराक्रम
जाकर छिप गए क्षितिज के किसी कोने में 
दिखा न पाए कोई भी कमाल
बिता दिया तुमने भी सारा दिन
पीली, सुनहरी, चमकीली
धूप की गुनगुनी सी चादर ओढ़
विस्तृत गगन में
पैर फैला कर सोने में !
क्या हो गया रवि महाराज ? 
कितना तो व्यापक हुआ करता था
तुम्हारा प्रभा मंडल
और प्रखर प्रकाश से सदा
जगमगाता रहता था तुम्हारा
दीप्तिमान मुख मंडल !
कहाँ चला गया सारा शौर्य तुम्हारा ?
कहाँ चली गई विश्व कल्याण की चिंता ?
और वसुधैव कुटुम्बकम का
तुम्हारा हितकारी नारा ?  
लगता है सांसारिक कर्मियों की
अकर्मण्यता से तुम भी प्रभावित हो गए हो
और निस्पृह भाव से पूरी तरह तटस्थ हो
सूर्योदय से सूर्यास्त तक की
जैसे-तैसे अपनी ड्यूटी निभा
सब कुछ आधा अधूरा छोड़ कर
घर भागने के अभ्यस्त हो गए हो !
वरना दिन दहाड़े क्या ऐसा अनर्थ होता,
भरी दोपहरी में गगन मंडल में तुम्हारे रहते
ठीक तुम्हारी आँखों के सामने
निर्दोष बहनों का सिन्दूर यों उजड़ता
छोटे-छोटे अबोध बच्चों का भविष्य
यों अंधकारमय होता !  
अब तुम्हारे अस्तित्व पर
तुम्हारी सत्ता पर,
तुम्हारी नीयत पर, तुम्हारी निष्ठा पर 
प्रश्न तो उठेंगे ही रविराज,
लोगों का भरोसा टूटा है
,
उनकी भक्ति तिरस्कृत हुई है,
उनके सर से छत हट गई है
और पैरों के नीचे से 
ज़मीन खिसक गई है, 
तुम्हें जवाब तो देना ही होगा
भुवन भास्कर
कल दो या आज ! 


चित्र - गूगल से साभार 


साधना वैद




Thursday, May 22, 2025

बिजली का दुरुपयोग

 




आजकल हर घर में, हर संस्थान में, हर ऑफ़िस, होटल, रेस्टोरेंट में यहाँ तक कि शहर की सडकों पर भी बिजली का जम कर दुरुपयोग हो रहा है ! घरों में दिन की पर्याप्त रोशनी के बाद भी सारे दिन बिजली जलती है ! पहले भवन निर्माण के समय इस बात का ध्यान रखा जाता था कि हर कमरे में पर्याप्त रोशनी और हवा आए ! लेकिन अब खिड़की दरवाजों पर भारी भारी परदे लटका कर कमरों को डार्क बनाने की कोशिश की जाती है ! खिड़कियों के शीशों पर पेंटिंग करके या रंगीन कागज़ लगा कर रोशनी को अवरुद्ध किया जाता है ! फिर सारे दिन घर में बिजली के बल्ब जला कर रोशनी की जाती है ! पहले सुबह शाम लोग बाहर बगीचों में पार्क्स में घर की छतों पर या बालकनी में हवाखोरी के लिए निकल आते थे लेकिन अब सारे दिन अपने कमरों में घुसे रहते हैं A. C. के सामने पहले घरों को ठंडा करने के लिए खस के पर्दे या टट्टियाँ लगाई जाती थीं जो बाहर की गर्म हवा को बिलकुल ठंडा करके अन्दर भेजती थीं ! इस व्यवस्था में बिजली की खपत ज़ीरो होती थी ! बस दिक्कत यही थी कि खस के पर्दों को दिन में कई बार पानी से भिगोना पड़ता था ! इससे कमरे भी गीले हो जाते थे और काम भी बढ़ता था लेकिन बिजली की ज़रुरत नहीं होती थी ! पर सुविधाभोगी इंसान ने इन्हें हटा कर ए. सी. लगाना शुरू कर दिया और अपना बिजली का बिल कई गुना बढ़ा लिया !
पहले पत्थर के सिल बट्टे पर चटनी मसाले पीसे जाते थे
और क्या ही लाजवाब पीसे जाते थे ! हर खाने का ज़ायका ही ज़बरदस्त होता था ! बर्तनों में ठंडी लस्सी शरबत बनाए जाते थे, चूल्हे, अंगीठी पर या पानी के गरमे में नहाने धोने के लिए पानी गरम किया जाता था लेकिन अब किचिन में एक दिन भी मिक्सर ग्राइंडर काम न करे और बाथरूम का गीज़र खराब हो जाए तो तहलका मच जाता है ! अब तो किचिन में माइक्रोवेव, इलेक्ट्रिक प्रेशर कुकर, ओ, टी, जी, कुकिंग रेंज और इन्डक्शन चूल्हा आदि अनिवार्य रूप से शुमार हो चुके हैं जो सभी बिजली से चलते हैं ! इलेक्ट्रिक टोस्टर, सैंडविच मेकर आदि तो उतने ही ज़रूरी हैं जैसे तवा कढ़ाई, चकला, बेलन ! 
घर के हर छोटे बड़े सदस्य के पास मोबाइल फोन है और सारे मोबाइल फोन बिजली से चार्ज होते हैं ! घर में जितने भी सॉकेट हैं कोई भी कभी खाली नहीं मिलता ! किसी पर फोन
, किसी पर टॉर्च, किसी पर मच्छर मारने का रैकिट तो किसी पर पॉवर बैंक चार्जिंग के लिए लगे होते हैं ! छोटे-छोटे बच्चों के लिए भी तरह-तरह के इलेक्ट्रॉनिक गेम्स आने लगे हैं जिन्हें चलाने के लिए भी बिजली की ज़रुरत होती है ! इतनी दरियादिली के साथ बिजली का उपयोग करने के बाद बिजली का बिल नियंत्रित रहे और बजट में ही आये यह कैसे हो सकता है !
दरअसल हमने प्राकृतिक वातावरण में रहना बिलकुल ही बंद कर दिया है और जिस कृत्रिम जीवन पद्धति को हमने अपनाया है वह पूरी तरह से बिजली से ही चलती है तो बिजली का बिल भी बढ़ेगा और उसका दुरुपयोग भी होगा ! बच्चे भी इसी जीवन पद्धति के आदी हैं ! स्विच ऑन करने के बाद किसीको भी ऑफ करने का ध्यान नहीं रहता और बिजली का मीटर बेतहाशा दौड़ता रहता है ! अब तो कारें भी ऐसी प्रचलन में आ गयी हैं जो पेट्रोल डीज़ल के स्थान पर बिजली से चलती हैं ! उनकी बैटरी चार्ज करने के लिए बिजली की बड़ी खपत होती है ! ऐसे में जब तक हम लोग कमर कस कर इस ओर ध्यान नहीं देंगे बिजली के दुरुपयोग को रोकना संभव नहीं होगा !
हमारे देश में धूप की कोई कमी नहीं है ! हमें अपने घरों में सोलर पैनल लगा कर बिजली बनाने के लिए सौर ऊर्जा का इस्तेमाल करना चाहिए ! बच्चों को बिजली का दुरुपयोग करने से रोकना चाहिए और उनसे सख्ती के साथ इस बात का पालन करवाना चाहिए कि वे जब भी कमरे से बाहर निकलें तो बिजली के स्विच ऑफ़ करके ही निकलें ! ध्यान रखा जाएगा तो बिजली के बिगड़े बजट को कुछ हद तक नियंत्रित किया जा सकेगा !



साधना वैद 

 

 


Thursday, May 15, 2025

न किस्से ये होते न अफ़साने होते

 




न किस्से ये होते न अफ़साने होते 

जहां में जो हमसे मुसव्विर न होते 

न खिलती ये कलियाँ न उड़ते परिंदे 

जो गुलशन में तुमसे मुतासिर न होते ! 


चित्र - गूगल से साभार 

साधना वैद 

Friday, May 9, 2025

क्षुब्ध हूँ मैं




 


क्षुब्ध हूँ मैं

जाने क्यों
विक्षुब्ध हूँ, विचलित हूँ,
व्याकुल हूँ
, व्यथित हूँ !
आज सुबह की
सूर्य वन्दना के बाद भी
मन में पुलक नहीं, उत्साह नहीं
,
उमंग नहीं
, उल्लास नहीं !
अल्लसुबह  
दूर क्षितिज पर छाई लालिमा में
बालारुण की अरुणाई और
भोर के सुनहरे उजास के स्थान पर
युद्ध में हताहत
असंख्यों निर्दोष मासूम बच्चों
स्त्रियों और शूरवीर योद्धाओं के  
रक्त की लालिमा दिखाई दे रही है
जो मन में अवसाद
,
तन में सिहरन और
नैनों में कभी न सूखने वाली
नमी भर जाती है
मेरी सुबह को हर सुख,
हर आस से नि:शेष कर
बिलकुल रीता कर जाती है !


चित्र - गूगल से साभार ! 

साधना वैद
 




Saturday, May 3, 2025

कुछ फायकू

 



बनाई सुन्दर सी रंगोली
सजा दिए तोरण
तुम्हारे लिए

 

बिखेरी पाँखुरी पथ पर
चुन कर शूल
तुम्हारे लिए


रात भर जागे आतुर
द्वार खोलने को
तुम्हारे लिए

 

कितने गीत लिख डाले
मैंने डायरी में
तुम्हारे लिए

 

कितने व्यंजन बना डाले
खट्टे मीठे नमकीन
तुम्हारे लिए

 

कितने गीत गा चुकी
प्रतीक्षा करते हुए
तुम्हारे लिए

 

सब व्यर्थ हुए उपक्रम
किये जो हमने
तुम्हारे लिए

 

तुम नहीं आये तो

किया द्वार बंद

तुम्हारे लिए !




चित्र - गूगल से साभार 


साधना वैद