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Sunday, February 25, 2024

बसंत ऋतु

 

   


         


खिला पलाश

झूमा अमलतास

मन हर्षाया


उल्लास छाया 

सकल जगत में 

वसंत आया


दहका टेसू

लटकाये फानूस 

दीपित वन 


हर्षित सृष्टि 

उल्लसित धरती 

सँवारे तन 


आये मदन 

गाने लगे विहग 

स्वागत गान 


विस्मित प्राण 

अनुरक्त वसुधा 

फूलों के बाण 


आ गए कन्त 

करने अभिसार 

धरा तैयार 


गूँथ ली वेणी 

सजा लिए तन पे 

फूलों के हार 


फूली सरसों

डाल डाल पुष्पित  

महके बाग़ 


धरती खेले 

मनोहर रंगों से 

पी संग फाग 


साधना वैद 






Wednesday, February 14, 2024

आया वसंत

 



वसंत पंचमी की आप सभीको हार्दिक बधाई 


प्रेम का राग 

गुंजित चहुँ ओर

सृष्टि विभोर 


स्वागतोत्सुक 

प्रणयिनी वसुधा 

प्रतीक्षारत 


मदन बाण 

मुदित मन प्राण 

लज्जावनत 


पीत वसना 

प्रणयिनी वसुधा 

सकुचाई सी 


शोभित धरा 

सोहे अमलतास 

झूमे पलाश


वसंत आया 

स्वर्णिम गहने 

धरा पहने 


राह में तेरी 

बिछने को आतुर 

पीले गुलाब 


आया बसंत 

अब साकार होगा 

हमारा ख्वाब 


भास्कर आये 

क्षितिज की कोर पे 

धरा मुस्काये 


खोलो कपाट 

आने को है वसंत 

करो स्वागत ! 



साधना वैद  

Monday, February 12, 2024

संग उड़ना चाहती हूँ

 



संग उड़ना चाहती हूँ दूर नभ में
दे सकोगे साथ क्या बोलो मेरा तुम
साथ अम्बर का लगा कर एक फेरा
करेंगे अठखेलियाँ तारों में हम तुम
मौन की कारा से कब निकलोगे बाहर
तोड़ दो इस कशमकश की डोर को तुम
भूल कर सारे जहां की उलझनों को
चाँद को हैरान कर दें आज हम तुम !


चित्र - गूगल से साभार


साधना वैद

Friday, February 9, 2024

मैं उजाले बेचती हूँ ।

 



ले लो ले लो
मैं उजाले बेचती हूँ
तुम अंधेरे मिटा लो ।
पूरा सूरज ले आई हूँ
कोई कमी नहीं है ।
जिसको जितना चाहिए ले लो ।
भर लो उजाला अपने घर में
मिटा दो अंधेरा जड़ से ।
आज मिल रहा है सस्ते में
कौन जाने कल मिले न मिले
आज कोई कमी नहीं है ।
अपना घर भी भर लो
उजालों से और अपने
पड़ोसियों का भी ।
कहीं ये मौका
निकल न जाये हाथ से
फिर पछताओगे बाद में ।
ले लो ले लो
मैं उजाले बेचती हूँ ।
तुम अंधेरे मिटा लो ।


चित्र - गूगल से साभार


साधना वैद