Saturday, June 14, 2025

दुमदार दोहे - मूँगफली

 




भुनी करारी कुरकुरी, मूँगफली ये लाल
भर दो सबकी जेब में, खुश हों जावें बाल !
बड़ी गुणकारी मेवा !

बैठे महफिल में सभी, छेड़ रहे हों राग
मूँगफली हों सामने, खुल जायेंगे भाग !
मज़ा दुगुना हो जावे !

हो जाड़े की धूप औ’, सुखा रहे हों बाल
रख दे दाने छील जो, मूँगफ़ली के लाल !
भला उसका भी होवे !

कितनी फुर्सत से रचा, प्रभु ने यह उपहार
सजे हुए हैं खोल में, सुन्दर दाने चार !
ईश की लीला न्यारी !

तन्मय होकर देखते, फ़िल्मों का है ज़ोर
अँधियारे में सब सुनें, चटर पटर का शोर !
धरा पर कूड़ा भारी !
  

अद्भुत है कारीगरी अद्भुत तेरा खोल
सुन्दरता से हैं सजे दाने ये अनमोल !
नमन है तुझको दाता !

गिर जाए दाना कभी, होता मन बेचैन
जब तक वह दिख जाय ना
, पीछा करते नैन !
करारी जीभ चढ़ी है !

साथ मसाला हो अगर, स्वाद मिले भरपूर
हाथ रुके ना एक पल
, करो न पैकिट दूर !
मज़ा हो जाए दूना !

राजमहल या झोंपड़ी, हो चाहे फुटपाथ
मूँगफली का राज है, देती सबका साथ !
गरीबों की ये मेवा !

साधना वैद


No comments:

Post a Comment