भुनी करारी
कुरकुरी, मूँगफली ये लाल
भर दो सबकी जेब में, खुश हों जावें बाल !
बड़ी गुणकारी मेवा !
बैठे महफिल में
सभी, छेड़ रहे हों राग
मूँगफली हों सामने, खुल जायेंगे भाग !
मज़ा दुगुना हो जावे !
हो जाड़े की धूप
औ’, सुखा रहे हों बाल
रख दे दाने छील जो, मूँगफ़ली के लाल !
भला उसका भी होवे !
कितनी फुर्सत
से रचा, प्रभु ने यह उपहार
सजे हुए हैं खोल में, सुन्दर दाने चार !
ईश की लीला न्यारी !
तन्मय होकर
देखते, फ़िल्मों का है ज़ोर
अँधियारे में सब सुनें, चटर पटर का शोर !
धरा पर कूड़ा भारी !
अद्भुत है
कारीगरी अद्भुत तेरा खोल
सुन्दरता से हैं सजे दाने ये अनमोल !
नमन है तुझको दाता !
गिर जाए दाना
कभी, होता मन बेचैन
जब तक वह दिख जाय ना, पीछा करते नैन !
करारी जीभ चढ़ी है !
साथ मसाला हो
अगर, स्वाद मिले भरपूर
हाथ रुके ना एक पल, करो न पैकिट दूर !
मज़ा हो जाए दूना !
राजमहल या झोंपड़ी,
हो चाहे फुटपाथ
मूँगफली का राज है, देती सबका साथ !
गरीबों की ये मेवा !
साधना वैद
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