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Thursday, June 12, 2025

सोरठा छंद

 



कैसी पोलमपोल, नाम पर साक्षरता के
ढीठ पी गए घोल, नियम सब नैतिकता के !


करिए उनका मान
, गुरू होते प्रभु जैसे
रखिये उनका ध्यान
, पिता का करते जैसे !

हो न परस्पर भीत पढ़ें जब विद्यालय में
मन में रक्खें प्रीत, विनय का भाव हृदय में !



 कैसे होगा नाम भला ऐसी शिक्षा से
रहें बराबर छात्र जहाँ बाहर कक्षा के !



दिए गए हैं ठेल छात्र अगली कक्षा में
हो जायेंगे फेल सभी जीवन रक्षा में !


साधना वैद




7 comments :

  1. हार्दिक धन्यवाद श्वेता जी ! आभार आपका ! सप्रेम वन्दे !

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    1. हार्दिक धन्यवाद प्रिया जी ! आभार आपका !

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  3. Replies
    1. हार्दिक धन्यवाद शिवम् जी ! आभार आपका !

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  4. Replies
    1. धन्यवाद माननीय ! हृदय से आभार आपका !

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