कभी-कभी
बहुत दूर से आती
संगीत की धीमी सी आवाज़
जाने कैसे एक
स्पष्ट, सुरीली, सम्मोहित करती सी
बांसुरी की मनमोहक, मधुर, मदिर
धुन में बदल जाती है !
कभी-कभी
आँखों के सामने
अनायास धुंध में से उभर कर
आकार लेता हुआ
एक नन्हा सा अस्पष्ट बिंदु
जाने कैसे अपने चारों ओर
अबूझे रहस्य का
अभेद्य आवरण लपेटे
एक अत्यंत सुन्दर, नयनाभिराम,
चित्ताकर्षक चित्र के रूप में
परिवर्तित हो जाता है !
कभी-कभी
साँझ के झीने तिमिर में
हवा के हल्के से झोंके से काँपती
दीप की थरथराती, लुप्तप्राय सुकुमार सी लौ
किन्हीं अदृश्य हथेलियों की ओट पा
सहसा ही अकम्पित, प्रखर, मुखर हो
जाने कैसे एक दिव्य, उज्जवल
आलोक को विस्तीर्ण
करने लगती है !
हा देव !
यह कैसी पहेली है !
यह कैसा रहस्य है !
मन में जिज्ञासा होती है ,
एक उथल-पुथल सी मची है ,
घने अन्धकार से अलौकिक
प्रकाश की ओर धकेलता
यह प्रत्यावर्तन कहीं
किसी दैविक
संयोग का संकेत तो नहीं ?
साधना वैद
एक उथल-पुथल सी मची है , घने अन्धकार से अलौकिक प्रकाश की ओर धकेलता यह प्रत्यावर्तन कहीं किसी दैविक संयोग का संकेत तो नहीं ?
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना,बेहतरीन भाव पुर्ण प्रस्तुति,.....
RECENT POST...काव्यान्जलि ...: यदि मै तुमसे कहूँ.....
चित्त स्थिर होगा..मन में आनंद भरा होगा तो ऐसे ही अलौकिक अनुभव होंगे..
ReplyDeleteबहुत ही ख़ूबसूरत कविता
बहुत सुन्दर और गहन प्रस्तुति...
ReplyDeleteमन को शीतलता प्रदान करती भावपूर्ण रचना... बहुत-बहुत आभार....
ReplyDeleteआध्यात्म अद्वैत वेद सूबेद .... काल , सब रहस्य हैं ........... एक नूर है , एक आवाज़ है , एक साथ है .... हम सब जानते हैं और आँखें श्रद्धा से बन्द हो जाती हैं
ReplyDeleteआध्यात्म अद्वैत वेद सूबेद .... काल , सब रहस्य हैं ........... एक नूर है , एक आवाज़ है , एक साथ है .... हम सब जानते हैं और आँखें श्रद्धा से बन्द हो जाती हैं
ReplyDeleteकितना निष्कपट ....कितना कोमल है आपका मन ....अनहद नाद सुन रहा है .....................मन की शून्यता में समां गाई आपकी कृति ...!!
ReplyDeleteहार्दिक बधाई व शुभकामनायें ....!!
बहुत सुंदर......................
ReplyDeleteअलौकिक!!!!
निश्छल भाव से प्रभवित करती बहुत सुन्दर रचना. आभार.
ReplyDeleteBAHUT SUNDAR .AABHAR
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ReplyDeleteसुन्दर बिम्ब के साथ प्रस्तुति |बहुत खूब |
ReplyDeleteआशा
सुन्दर भावों की अभिव्यक्ति ||
ReplyDeleteअलौकिक दृश्य सा उत्पन्न करती सुंदर रचना ....
ReplyDeleteयह प्रत्यावर्तन कहीं
ReplyDeleteकिसी दैविक
संयोग का संकेत तो नहीं ?
अनुपम भाव लिए हुए उत्कृष्ट लेखन ।
ऐसे संकेत भी रहस्य ही होते हैं सच है..
ReplyDeleteहरेक संकेत कुछ अर्थ ज़रूर रखता है।
ReplyDeletehttp://hbfint.blogspot.com/2012/04/best-hindi-blogs.html
वाह! जी वाह! बहुत ख़ूब
ReplyDeleteकृपया इसे भी देखें-
उल्फ़त का असर देखेंगे!
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteपरम सत्ता के प्रति आपका जिज्ञासु मन रह - रह कर लौट आता है। सृष्टि के प्रत्येक कार्य-व्यापार में उसकी छवि देखने वाला आपका मन सचमुच बड़ा भावुक है। रचना सचमुच अच्छीहै। बधाई!
ReplyDeleteखूबसूरत अभिव्यक्ति ..भावों का शब्दों में बढ़िया रूपांतरण।
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