एक पग
तुमने बढ़ाया रास्ते मिलते गये ,
गुलमोहर
की डालियों पर फूल से खिलते गये !
भावना
की वादियों में वेदना के राग पर ,
एक
सुर तुमने लगाया गीत खुद बनते गये !
चाँदनी
का चूम माथा नींद से चेता दिया ,
सुर्मई
अँगनाईयों में नूर से सजते गये !
दूर
से आती हुई पदचाप का जादू ही था ,
पास
तुम आते गये और सिलसिले बनते गये !
वक्त
की दुश्वारियों ने कर दिया छलनी जिगर ,
प्यार
से जो छू लिया तो ज़ख्म सब भरते गये !
अब
तलक जो रंजो ग़म थे दिल की गहराई में गुम
एक ही
लम्हे में झरने की तरह बहते गये !
प्रिय
तुम्हारा मौन जैसे आप ही अभिशाप था ,
प्यार
के दो बोल जो बोले गिले मिटते गये !
साधना
वैद
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