Sudhinama
Wednesday, May 20, 2015
नूर की बूँद
देख तेरे दामन से मैं नूर की
एक बूँद तोड़ने आई हूँ
तेरे मस्तक से नसीब की
एक लकीर मोड़ने आई हूँ
देख ले तू मेरी ज़िद और
परख ले तू आज मेरा हौसला
मैं तेरी रोशनी में अपनी
थोड़ी सी रोशनी जोड़ने आई हूँ !
साधना वैद
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