कब आओगे
इस कलयुग में
कृष्ण कन्हाई
आ जाओ अब
मुरली मनोहर
लो बाधा हर
राह निहारें
अनगिन अर्जुन
आज तुम्हारी
हुई स्वीकृत
हमारी मनुहार
जन्मे कन्हैया
मंगल गाओ
गूँजी किलकारियाँ
जन्मा मोहन
अल्हड़ नदी
छूकर प्रभु पग
हुई निहाल
आनंद छाया
हर जन हर्षाया
गोकुल धाम
है जन्माष्टमी
सब मिल मनाओ
भक्ति भाव से
साधना वैद
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