Wednesday, June 22, 2022
लगा दहकने सूरज
Tuesday, June 21, 2022
पितृ दिवस _ लघुकथा
गर्मियों की शाम थी ! देवांश के दोस्त इन दिनों घर के अन्दर ही डेरा जमाये रहते थे ! मम्मी लू लगने के डर से बाहर जाने ही नहीं देती थीं ! स्कूल में अध्यापिका थीं तो उन्हें बच्चों को किसी न किसी गतिविधि में व्यस्त रखने का खूब अनुभव था ! आज भी मम्मी ने सब बच्चों को ड्रॉइंग शीट देकर सबसे आगामी पितृ दिवस के उपलक्ष्य में एक ड्रॉइंग बनाने के लिए कहा ! विषय था बच्चे और उनके पापा एक दूसरे के साथ कैसा समय बिताते हैं इसे चित्र के द्वारा बताएं ! क्योंकि यह एक प्रतियोगिता थी इसलिए सब बच्चों को दूर दूर बैठाया गया था कि वे एक दूसरे का चित्र देख कर नक़ल ना करें !
बच्चे उत्साह से चित्र बनाने में जुट गए ! घर में काम करने
वाली लीला का बेटा कन्हैया भी यह सब बहुत ध्यान से देख रहा था ! देवांश के पास
जाकर बोला –
“भैया जी हमको भी एक कागज़
दो ना ! हम भी चित्र बनायेंगे !”
“तुझे आता भी है चित्र
बनाना ?” देवांश ने हँस कर कहा ! लेकिन उसका उत्साह देख कर उसने कन्हैया को भी एक
ड्रॉइंग शीट और रबर पेन्सिल पकड़ा दी !
प्रतियोगिता का समय
समाप्त हो चुका था और सब बच्चे अपनी अपनी ड्रॉइंग देवांश की मम्मी के पास जमा कर
चुके थे ! आज का परिणाम सबको चौंकाने वाला था ! सर्वश्रेष्ठ चित्र का पुरस्कार
कन्हैया को मिला था ! देवांश की मम्मी ने कन्हैया को खूब सारी चॉकलेट्स इनाम में
दीं और उसे गले से लगा कर बहुत प्यार किया !
बच्चों के चित्रों में
विविधता थी ! किसीमें पापा बच्चों के लिए घोड़ा बने हुए उन्हें सवारी करा रहे थे,
किसीमें बच्चों को चॉकलेट और गुब्बारे दे रहे थे, किसी में बच्चे पापा के कंधे पर
सवार थे तो किसीमें बच्चों को पापा किताब से कहानी सुना रहे थे ! कन्हैया के चित्र में उसके पापा हाथ में डंडा
लेकर बच्चे की पिटाई लगा रहे थे और खाट के नीचे दारू की बोतल और एक गिलास लुढ़का
हुआ पड़ा था !
साधना वैद
Saturday, June 18, 2022
घर फूँक तमाशा
एक पुरानी पोस्ट ! आज के सन्दर्भों में याद आ गयी !
आजकल यह रिवाज़ सा चल पड़ा है कि सड़क पर कोई दुर्घटना हो गयी तो तुरंत रास्ता जाम कर दो । जितने भी वाहन आस पास से गुज़र रहे हों उनको आग के हवाले कर दो फिर चाहे उनका दुर्घटना से कोई लेना देना हो या ना हो और घंटों के लिये धरना प्रदर्शन कर यातायात को बाधित कर दो । किसी अस्पताल में किसी के परिजन की उपचार के दौरान मौत हो गयी तो डॉक्टर के नर्सिंग होम में सारी कीमती मशीनों को चकनाचूर कर दो और डॉक्टर और उसके स्टाफ की जम कर धुनाई कर दो । जनता का यह व्यवहार कुछ विचित्र लगता है । हद तो तब हो जाती है जब अपना आक्रोश प्रदर्शित करने के लिये ये लोग आम जनता की सहूलियत और ज़रूरतों को पूरा करने के लिये वर्षों के प्रयासों और जद्दोजहद के बाद जैसे तैसे जुटायी गयी बुनियादी सेवाओं को अपनी वहशत का निशाना बनाते हैं ।
आम जनता के मन में यह भ्रांति गहराई तक जड़ें जमाये हुए है कि सारी रेलगाड़ियाँ, बसें या सरकारी इमारतें ‘सरकार’ की हैं जो कोई दूसरे पक्ष का व्यक्ति है और उसके सामान की तोड़ फोड़ करके वे अपना बदला निकाल सकते हैं । हम सभी यह जानते हैं कि हमारा देश अभी पूरी तरह से सुविधा सम्पन्न नहीं हुआ है । अभी भी किसी क्षेत्र की किसी ज़रूरत को पूरा करने के लिये सरकार को एड़ी चोटी का ज़ोर लगाना पड़ता है और उस सुविधा का उपभोग करने से पहले आम जनता को भारी मात्रा में टैक्स देकर धन जुटाने में अपना योगदान करना पड़ता है तब कहीं जाकर दो शहरों को जोड़ने के लिये किसी बस या किसी रेल की व्यवस्था हो पाती है या किसी शहर में बच्चों के लिये स्कूल या मरीज़ों के लिये किसी अस्पताल का निर्माण हो पाता है । लेकिन चन्द वहशी लोगों को उसे फूँक डालने में ज़रा सा भी समय नहीं लगता । अपने जुनून की वजह से वे अन्य तमाम नागरिकों की आवश्यक्ताओं की वस्तुओं को कैसे और किस हक से नुक्सान पहुँचा सकते हैं ? जो लोग इस तरह की असामाजिक गतिविधियों में लिप्त रहते हैं क्या वे कभी रेल से या बस से सफर नहीं करते ? अपने परिवार के बच्चों को स्कूलों में पढ़ने के लिये नहीं भेजते या फिर बीमार पड़ जाने पर उन्हें अस्पतालों की सेवाओं की दरकार नहीं होती ? फिर बुनियादी ज़रूरतों की इन सुविधाओं को क्षति पहुँचा कर वे किस तरह से एक ज़िम्मेदार नागरिक होने का दायित्व निभा रहे होते हैं ?
लोगों तक यह संदेश पहुँचना बहुत ज़रूरी है कि जिस सरकारी सम्पत्ति को वे नुक्सान पहुँचाते हैं वह जनता की सम्पत्ति है और उसके निर्माण के लिये उनकी खुद की भी गाढ़े पसीने की कमाई कर के रूप में जब सरकार के पास पहुँचती है तब ये सुविधायें अस्तित्व में आती हैं । इन के नष्ट हो जाने से पुन: इनकी ज़रूरत का शून्य बन जाता है और उसकी पूर्ति के लिये पुन: अतिरिक्त कर भार और उसके परिणामस्वरूप बढ़ने वाली मँहगाई का दुष्चक्र आरम्भ हो जाता है जिसका खामियाज़ा चन्द लोगों की ग़लतियों की वजह से सभी को भुगतना पड़ता है । यह नादानी कुछ इसी तरह की है कि घर में किसी बच्चे की नयी कमीज़ की छोटी सी माँग पूरी नहीं हुई तो वह अपने कपड़ों की पूरी अलमारी को ही आग के हवाले कर दे ।
इस समस्या के समाधान के लिये ज़रूरी है कि जन प्रतिनिधि अपने क्षेत्र के नागरिकों को केवल धरना प्रदर्शन का प्रशिक्षण ही ना दें वरन उनके कर्तव्यों के लिये भी उन्हें जागरूक और सचेत करें । नेता गण खुद भी धरना प्रदर्शन और हिंसा की राजनीति से परहेज़ करें और आम जनता के सामने संयमित और अनुशासित आचरण कर अच्छे उदाहरण प्रस्तुत करें ताकि जनता के बीच उद्देश्यपूर्ण संदेश प्रसारित हो । रेडियो और टी.वी. चैनल्स पर नागरिकों को इस दिशा में जागरूक करने के लिये समय समय पर संदेश प्रसारित किये जायें और मौके पर तोड़ फोड़ की असामाजिक गतिविधि में लिप्त पकड़े गये लोगों को कठोर दण्ड दिया जाये उन्हें सिर्फ चेतावनी देकर छोड़ा ना जाये । जब तक कड़े कदम नहीं उठाये जायेंगे हम इसी तरह पंगु बने हुए इन उपद्रवकारियों के हाथों का खिलौना बने रहेंगे ।
देश के लिए सबसे अधिक अनुशासित, समर्पित, मर्यादित एवं
निष्ठावान समझी जाने वाली वन्दनीय सेवा के लिए देश की ही संपत्ति को जला कर, तोड़
फोड़ कर सबसे अधिक नुक्सान पहुँचाने वाले और अपने सर्वथा निंदनीय अनुशासनहीन आचरण से उसकी
प्रतिष्ठा में बट्टा लगाने वाले लोग न केवल स्वयं में इस सेवा की पात्रता समझते
हैं वरन अपनी उद्दंडता, उच्श्रन्खलता और विवेकहीनता का प्रदर्शन कर अपना दावा भी ठोक
रहे हैं ! है न हैरानी की बात !
साधना वैद
Saturday, June 11, 2022
राजतिलक
बस एक पत्थर ,
एक विवादित बयान ,
एक आक्रोशित आरोप
सत्य हो या असत्य क्या
फर्क पड़ता है
आपको सुर्ख़ियों में ला
खड़ा करता है !
आप कुछ नहीं से बहुत कुछ
हो जाते हैं !
कल तक जिसका नाम पता
अजाना था
रातों रात राष्ट्रीय
अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व का
अत्यंत प्रसिद्ध इंसान बन
जाता है
जिस पर देश के सारे बुद्धिजीवी
अपनी सारी विद्वत्ता को मस्तिष्क
के
हर कोने से झाड़ बुहार कर
सही या गलत सिद्ध करने
में
प्राण प्रण से जुट जाते
हैं ! !
तो दोस्तों सुर्ख़ियों में
रहने के लिए
किसी विशेष योग्यता की
ज़रुरत नहीं ,
किसी गरिमामय गौरवशाली
पारिवारिक इतिहास की
ज़रुरत नहीं ,
किसी प्रभावशाली बड़े नेता
या मंत्री से रिश्तेदारी
या मीडिया में किसीसे कोई
साँठ गाँठ की ज़रुरत भी नहीं !
सुर्खियाँ बटोरनी हैं तो
चौराहे पर खड़े होकर ऊँचे
स्वर में
किसी संवेदनशील मुद्दे पर
दो चार नारे लगा दो,
दो चार राष्ट्र विरोधी
बयान दे दो ,
कुछ मन चले हमखयाल
साथियों को जमा कर
एक जुलूस निकाल दो !
बाकी का काम मीडिया वाले
खुद कर देंगे !
टी वी के हर चैनल पर तुम्हारे
बयानों पर
दिन भर धुआँधार बहस होंगी
!
तुम्हारे समर्थन में बड़ी
बड़ी हस्तियाँ आयेंगी
बड़ी बड़ी पार्टी के
प्रवक्ता तुम्हारी बातों में
देश का सुरक्षित भविष्य तलाश
लेंगे और
तुम्हारे व्यक्तित्व में
उन्हें देश का
सबसे ज़िम्मेदार और ओजस्वी
नेता नज़र आने लगेगा !
तुम भी चकित रह जाओगे कि
तुम्हारे पास
समर्थकों का कितना बड़ा
समूह है !
कितना आसान हो गया है न आजकल
नेता बनना
और सुर्खियाँ बटोरना !
तो आइये फिर ! देर किस
बात की है
आप भी कुछ सुर्खियाँ बटोर
लीजिये
आप भी अपना जनाधार सुदृढ़
कर लीजिये !
कौन जाने अगले चुनाव में आपको
ही टिकिट मिल जाए,
आपके भाग्य से भी कोई
छींका टूट ही जाए
और आपका ही राजतिलक हो
जाए !
साधना वैद
Saturday, June 4, 2022
रुद्राक्ष
रुद्राक्ष
रचा लिया है तुम्हें आँखों में,
धारण कर लिया है उर पटल पर
कर लिया है अवस्थित तुम्हें
अंतस्तल के सर्वोच्च आसन पर
तुम सामान्य सी माला के मोती नहीं
तुम रुद्राक्ष हो ! एक अनमोल रुद्राक्ष !
मेरे जीवन का सबसे मूल्यवान उपहार
मेरी आध्यात्मिक तलाश का अंतिम लक्ष्य
मेरी भौतिक भ्रांतियों का सर्वश्रेष्ठ समाधान
मेरी भक्ति, निष्ठा, आस्था का सर्वोत्तम सिला
मेरे प्रेम, मेरे समर्पण का पुण्य फल
यह रुद्राक्ष मेरी अतुलनीय निधि है प्रभु
क्योंकि यह तुमने मुझे दिया है !
इसीलिये तो यह मेरे लिए तुम्हारे
दिव्यतम वरदान के स्वरुप है !
इस कृपा के लिए तुम्हें कोटि कोटि आभार
और मेरा शत शत प्रणाम मेरे प्रभु !
मुझे इतनी शक्ति और देना कि
मैं इस रुद्राक्ष का मान रख सकूँ !
साधना वैद
Thursday, June 2, 2022
फूल
साधना वैद