Wednesday, June 28, 2023

घनेरी घटाओं का आलय – मेघालय – 9

 



12 मई – शानदार शिलौंग के भव्य दर्शनीय स्थल

11 मई का दिन बहुत रोमांचक तथा शारीरिक और मानसिक थकन भरा था ! लिविंग रूट ब्रिज, जिसके बारे में आपने विस्तार से पिछली पोस्ट  में पढ़ा होगा, तक जाना और आना, फिर दूर पार्किंग में खड़ी बस तक पहुँचने की कवायद और फिर मावलिन्नोंग विलेज में पैदल घूमना कुल मिला कर शरीर पर कुछ अधिक ही अत्याचार सा हो गया ! ये डर था अगले दिन सुबह समय से उठ भी पायेंगे या नहीं, उठ गए तो ठीक से खड़े भी हो पायेंगे या नहीं और खड़े हो गए तो घूमने जाने की हिम्मत बची होगी या नहीं ! लेकिन सुबह जब नींद खुली तो बिलकुल वैसा ही तरोताजा और सामान्य अनुभव कर रहे थे जैसे रोज़ करते हैं ! रात को सोने से पहले वोलोनी स्प्रे और ट्यूब दोनों से ही घुटनों की खूब अच्छी तरह से सेवा कर ली थी ! एक पेन किलर भी खा ली थी तो सुबह कोई परेशानी नहीं हुई ! झटपट नहा धोकर तैयार हो गए और नीचे डाइनिंग रूम में जाकर ठीक से नाश्ता भी कर लिया ! विद्या जी के पैरों में बड़ा दर्द था ! वे नाश्ते के लिए भी नीचे नहीं आईं ! उनको मैंने वोलोनी ट्यूब और स्प्रे दिया लगाने के लिए जिसके प्रयोग के कुछ देर बाद उन्हें कुछ राहत मिली ! उन्होंने नाश्ता भी कमरे में ही किया ! पहले वे सोच रही थीं कि दिन में कमरे में ही आराम करेंगी ! साथ में घूमने नहीं जायेंगी ! लेकिन फिर उनका भी मन नहीं माना और वो भी साथ जाने के लिए तैयार हो गईं ! उनके नहीं जाने की बात से हम सभी थोड़ा उदास हो गए थे ! ग्रुप में किसी एक को भी तकलीफ हो तो सब चिंतित हो जाते हैं ! स्वाभाविक भी है ! लेकिन जैसे ही उन्हें तैयार होते देखा सबके चहरे खिल गए !

लेडी हैदरी पार्क

आज हमें मेघालय की राजधानी शिलौंग में घूमना था ! एक छोटा सा पहाड़ी शहर लेकिन पूरी तरह से आधुनिक एवं सभी आवश्यक सुविधाओं से संपन्न एवं सुसज्जित ! होटल से निकलते ही सबसे पहले जिस स्थान पर गए उसका नाम था लेडी हैदरी उद्यान ! इस उद्यान का नाम अकबर हैदरी  की पत्नी के नाम पर रखा गया है जो अंग्रेजों के शासन काल में पहले भारत सरकार के वित्त विभाग में एक छोटे अफ़सर के रूप में नियुक्त हु बाद में भारत के सर्वप्रथम 'कन्ट्रॉलर ऑफ़ ट्रेजरी' बने ! इस पद पर नियुक्त होने वाले वे सर्वप्रथम भारतीय थे ! 1941 में उनकी मृत्यु हो गयी !

बच्चों के लिए यहाँ पर एक छोटा सा चिड़ियाघर है साथ ही यहाँ एक ख़ूबसूरत झरना और स्वीमिंग पूल भी है ! जू में बहुत कम प्राणी थे ! अधिकतर केज खाली थे ! कुछ पक्षी, एक लंगूर, एक लोमड़ी और चंद बत्तख ही दिखाई दिए ! लेडी हैदरी पार्क में रंग बिरंगे बेहद खूबसूरत फूलों की बहुत ही सुन्दर क्यारियाँ हैं ! पार्क में पैदल चलने वालों के लिए सुरम्य मार्ग बनाए गए हैं जो मैनीक्योर किए गए लॉन में टहलना आसान बनाते हैं ! पार्क की सुरम्य हरियाली, नीले गुलमोहर के पेड़ और खूबसूरत फूलों की क्यारियों के साथ फोटोग्राफी का आनंद दोगुना हो जाता है ! यहीं पर फॉरेस्ट डिपार्टमेंट मेघालय का एक छोटा सा फॉरेस्ट म्यूज़ियम भी है जिसमें कई छोटे बड़े जानवरों और पक्षियों के कंकाल, खाल, हिरन व बारासिंगा आदि के सींग और बड़े जानवरों के स्कल्स और टेक्सीडर्मीज़ प्रदर्शन के लिए रखे हुए थे !

वायु सेना संग्रहालय

लेडी हैदरी उद्यान के बाद हम लोग जिस महत्वपूर्ण स्थान को देखने गए वह था शिलौंग का एयर फ़ोर्स म्यूज़ियम ! वयस्कों के साथ-साथ बच्चों के लिए भी यह एक ज़बरदस्त आकर्षण एवं ज्ञान का शानदार स्रोत है !  वायु सेना का यह संग्रहालय हमें अपने रक्षा बलों के बारे में,  मुख्य रूप से भारतीय वायु सेना के  बहादुर उड़ान योद्धाओं और रक्षा इतिहास के बारे में समग्र जानकारी प्रदान करता है ! इस संग्रहालय में भारत-चीन युद्ध और भारत-पाकिस्तान युद्ध के अनेकों चित्र प्रदर्शित हैं ! तस्वीरों की विस्तृत श्रृंखला एवं अस्त्र शस्त्रों की विविध किस्मों के प्रदर्शन की वजह से यह हर तरह से चमत्कृत तो करता ही है हमारी जिज्ञासा एवं कौतुहल को भी शांत करने की अद्भुत क्षमता रखता है ! संग्रहालय में दर्शक अजगर की खाल भी देख सकते हैं ! यहाँ की जीवन शैली, रहन सहन, लोक जीवन में प्रयोग में आने वाली वस्तुओं, घरेलू औजारों, वस्त्र, गहने एवं वाद्य यंत्रों का भी यहाँ बड़े ही कलात्मक ढंग से प्रदर्शन किया गया है !

संग्रहालय में वायु सेना के जांबाज़ अधिकारियों की तस्वीरों के साथ पायलटों द्वारा पहनी जाने वाली वर्दी, मेडल्स, टाई, मिसाइल, रॉकेट और वायु-शिल्प के लघु मॉडेल्स के साथ-साथ अन्य अनेकों यंत्र व उपकरण भी प्रदर्शित हैं ! परिसर में उपहार की एक दुकान भी है जहाँ से आवश्यकता का सामान एवं स्मृति चिन्ह खरीदे जा सकते हैं ! संग्रहालय सार्वजनिक अवकाश के दिन बंद रहता है और इसमें प्रवेश के लिए कोई टिकिट नहीं है ! इतने अभूतपूर्व संग्रहालय को देख कर मन गर्व से भर उठा और भारतीय वायु सेना के इन जांबाज़ सेनानियों के लिए मन में अपार श्रद्धा और कृतज्ञता के भाव जागृत हो गये जिनकी वजह से हम अपने घरों में सुरक्षित रहते हैं ! यहाँ का अनुभव बहुत ही रोमांचक था ! मैंने यहाँ से फ्रिज मेग्नेट खरीदे !

चाय के बागान

एयर फ़ोर्स म्यूज़ियम के पास ही नीची पहाड़ियों पर फैले चाय के बड़े बड़े बागान थे ! सब खूब मौज मस्ती के मूड में थे ! सबने तरह तरह के पोज़ बना कर चाय के बागों में खूब फोटोग्राफी की ! बड़ा दिलकश नज़ारा था ! जहाँ तक नज़र जा रही थी दूर-दूर तक चाय के बाग़ ही बाग़ नज़र आ रहे थे ! न जाने कितनी फिल्मों के दृश्य आँखों के सामने तैर गए जिनमें नायक नायिका ऐसे ही चाय के बागों में रोमांटिक गीत गाते हुए फिल्माए गए हैं ! ग्रुप के सभी सदस्य एक दूसरे की तस्वीरें लेने में लगे हुए थे ! यहाँ आकर मन जोश और उत्साह से भर गया !

डॉन बोस्को म्यूज़ियम

हमारा अगला पडाव था डॉन बोस्को म्यूज़ियम ! सच कहूँ तो देश विदेश के कई संग्रहालय देखने का अवसर मिला लेकिन इतना भव्य, इतना व्यवस्थित और इतना सुनियोजित संग्रहालय मैंने अन्यत्र कहीं नहीं देखा ! डॉन बॉस्को संग्रहालय एशियाई महाद्वीप का सबसे बड़ा सांस्कृतिक संग्रहालय है ! यह मावलाई शिलौंग में स्थित है और मिजोरम, नागालैंड, असम, अरुणांचल प्रदेश, मेघालय, मणिपुर और त्रिपुरा की संस्कृति और परम्परा को प्रदर्शित करता है !

संग्रहालय कलाकृति, अलंकरण, क्षेत्रीय पोशाक, हथियार, हस्तशिल्प और तस्वीरों का एक विस्तृत संग्रह प्रदर्शित करता है ! सात मंज़िला संग्रहालय आगंतुकों को 14 से अधिक बेहद सुन्दर, मनोरंजक, अत्यधिक आकर्षक और सूचनापरक दीर्घाओं के माध्यम से पूर्वोत्तर प्रदेशों के सामाजिक, सांस्कृतिक, भौगोलिक, धार्मिक एवं ऐतिहासिक अनुभव को साझा करता है ! इस संग्रहालय में नया जोड़ा गया स्काई वॉक अद्भुत है जो आगंतुकों को उत्तर पूर्व की खूबसूरत क्वीन सिटी शिलौंग का 360° विहंगम दृश्य दिखाता है ! संग्रहालय मानवशास्त्रीय पहलुओं के साथ जनसंख्या भूगोल और प्राकृतिक संसाधनों के संदर्भ में प्रत्येक राज्य की अनूठी विशेषताओं को प्रदर्शित करता है ! यह नृत्य और संगीत, कला और शिल्प जैसे सभ्यता के सांस्कृतिक आयामों को भी दर्शाता है जिन्हें वीडियो, मॉडल, चित्रों और नवीनतम मल्टीमीडिया प्रौद्योगिकियों के माध्यम से प्रदर्शित किया गया है ! मुझे तो इस संग्रहालय को देखने का अनूठा तरीका बहुत पसंद आया ! यह संग्रहालय सात मंज़िल का है ! इसकी तीन मंज़िल ग्राउंड फ्लोर से नीचे हैं और चार मंज़िल ग्राउंड फ्लोर से ऊपर हैं ! नीचे भूतल की तीनों मंज़िलों में संग्रहालय की बड़ी सुन्दर दीर्घाएं हैं ! उतरने के लिए बड़ी ही आरामदायक सीढियाँ हैं ! आप तीन मंज़िल कब देख लेते हैं पता ही नहीं चलता ! न ही ज़रा भी थकान होती है ! सबसे नीचे जाकर आप टॉप फ्लोर तक लिफ्ट से जा सकते हैं ! वहाँ स्काई वॉक का आनंद लेकर, सारे शहर का खूबसूरत नज़ारा देख कर आप इसी तरह संग्रहालय की बाकी चार मंज़िलों की गैलरीज़ को भी देखने में व्यस्त हो जाते हैं ! हर दीर्घा में इतने व्यवस्थित तरीके से इन प्रदेशों के जन जीवन के विविध रंगों की झाँकियों का प्रदर्शन किया गया है कि चार मंज़िलें कब समाप्त हो जाती हैं पता भी नहीं चलता ! प्राय: ऊपर चढ़ने में लोगों को थकान होती है लेकिन इस संग्रहालय का यह सिस्टम मुझे बहुत पसंद आया कि आपको कहीं भी चढ़ना नहीं पड़ता ! ग्राउंड फ्लोर पर सोवेनियर्स और हैन्डीक्राफ्टस की बड़ी अच्छी दूकान है ! मैंने वहाँ से भी बड़े सुन्दर फ्रिज मैगनेट खरीदे ! हमारे आठ लोगों के ग्रुप में सिर्फ एक ही कैमरा इस्तेमाल करने की परमीशन मिली थी ! यामिनी श्रीवास्तव जी का कैमरा ही फोटो खींच पा रहा था ! अक्सर हम लोग बिछड़ जाते थे तो यहाँ मन चाही तस्वीरें नहीं खींच सके इसका अफ़सोस रहा ! लेकिन इस संग्रहालय में आनंद बहुत आया यह एक निर्विवाद सत्य है !  

वार्ड्स लेक

डॉन बोस्को संग्रहालय को देखने के बाद आज के दिन का अंतिम पर्यटन स्थल खासी हिल्स में स्थित वार्ड्स लेक देखना बाकी रह गया था ! एक बटरफ्लाई म्यूज़ियम देखने का प्लान हम लोगों ने पहले ही कैंसिल कर दिया था ! कल की थकान अब अपना असर दिखाने लगी थी ! लेकिन वार्ड्स झील पहुँच कर तन मन और आँखें सबको बहुत आराम मिला ! बड़ा ही रमणीक स्थान है !

वार्ड्स झील शिलौंग के लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक है जिसे अवश्य देखना चाहिए ! इसे पोलक झील (नान पोलोक) के नाम से भी जाना जाता है ! यह लगभग 130 वर्ष से भी पुरानी झील है !  इस झीँँल की परिकल्पना असम के तत्कालीन मुख्य आयुक्त सर विलियम वार्ड ने की थी ! इसीलिये इसका नाम वार्ड्स लेक पड़ा ! इसका निर्माण वर्ष 1894 में कर्नल हॉपकिंस ने करवाया था ! यह शिलौंग शहर के मध्य में स्थित है ! यह खूबसूरत झील, रंग बिरंगे सुन्दर फूलों की क्यारियों, कोबल-पत्थर के फुटपाथों और एक मंत्रमुग्ध कर देने वाले फव्वारे के अलावा हरे-भरे बगीचों से घिरी हुई है ! झील के बीच में एक लकड़ी का पुल है जहाँ से झील की मछलियों को खाना भी खिला सकते हैं ! छोटी छोटी बत्तखें झील में तैर रही थीं जिन्हें देख कर बड़ा अच्छा लग रहा था ! झील में बोटिंग की भी सुविधा है ! परिसर में विभिन्न प्रकार के जलपान और पेय पदार्थों के साथ एक कैफेटेरिया भी है !  यह स्थानीय लोगों और छुट्टियों पर आने वाले बाहरी पर्यटकों के बीच समान रूप से लोकप्रिय है ! उस दिन भी कुछ बहुत प्यारी-प्यारी लड़कियों के कई ग्रुप्स हमने देखे ! उनकी चुहलबाजियाँ और हँसना खिलखिलाना बड़ा अच्छा लग रहा था ! एक बात जो नोटिस की वह यह थी कि पढी लिखी आधुनिक लडकियाँ भी वहाँ की पारंपरिक खासी ड्रेस में थीं जिसे मेखला चादर कहते हैं ! कुछ बड़ी महिलाओं की ड्रेस तो बहुत कीमती और शानदार लग रही थी ! उन लोगों से परमीशन लेकर मैंने उनकी कुछ तस्वीरें भी लीं तो वो बहुत खुश हुईं !

वार्ड्स लेक देख कर पुलिस बाज़ार में हमें शॉपिंग के लिए जाना था लेकिन हम सीनियर लोग सभी बहुत थक गए थे ! संतोष जी और विद्या जी तो बहुत अधिक थक गयी थीं ! प्रमिला जी की तबीयत भी बुखार के कारण पहले से ही ढीली थी ! हमें भी कोई विशेष खरीदारी नहीं करनी थी इसलिए हम पाँच लोग बस से होटल लौट आये और अंजना जी, रचना जी और यामिनी पुलिस बाज़ार शॉपिंग करने के लिए चली गईं ! होटल में आने के बाद हाथ मुँह धोकर फ्रेश हुए ! गरमागरम चाय बनाई ! सुबह के लिए ज़रूरी सामान निकाल कर बाकी सारा सामान ठीक से पैक किया क्योंकि 13 तारीख की सुबह ही हमें गुवाहाटी के लिए निकलना था ! गुवाहाटी से दिन में 1 बजे अगरतला के लिए हमारी फ्लाइट थी और हमें 10.30 तक एयरपोर्ट पर रिपोर्ट करना था ! शिलौंग से गुवाहाटी पहुँचने में लगभग तीन चार घंटे लगते हैं ! इसलिए यह तय हुआ कि सब सुबह सात बजे तैयार हो कर ही नीचे डाइनिंग हॉल में जायेंगे और नाश्ता करके सीधे बस में बैठेंगे ! सुबह की सारी तैयारी करके मैं निश्चिन्त हो गयी थी ! कुछ देर किताब पढ़ती रही ! आठ बजे तक हमारे ग्रुप के युवा सदस्यों वाला छोटा ग्रुप भी शॉपिंग करके पुलिस बाज़ार से आ गया ! सबने जल्दी ही खाना खा लिया और निंद्रा देवी की शरण में चले गए ! अब मुझे भी चलना चाहिए ! पोस्ट भी लम्बी हो गयी है ! रात भी बहुत हो गयी है और साथ ही थकान भी महसूस हो रही है ! तो मुझे इजाज़त दीजिये अभी ! अगले अध्याय में आपको बहुत ही रोमांचक संस्मरण सुनाने हैं अगरतला के ! तो थोड़ी सी प्रतीक्षा करिए ! अगला अध्याय आपको भी रोमांचित कर देगा यह मेरा वायदा है आप से ! आज के लिए नमस्कार एवं शुभ रात्रि !

साधना वैद


1 comment:

  1. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति

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