भूलने की बीमारी हो गयी है 
उम्र का तकाज़ा है 
कुछ भी दिमाग में सहेज कर 
नहीं रख पाती अब 
यह कैसा भुलावा है ! 
याद है बस बरसों पहले 
ज़ेहन में खुदी एक तिथि 
जिस दिन तुम्हें 
आख़िरी बार देखा था 
और याद है वह दूसरी तिथि 
जिस दिन तुमने मुझसे 
फिर मिलने का वचन दिया था !
वर्षों गुज़र गये
हर दिन कैलेण्डर में 
उन तारीखों को देखती हूँ और
उन्हीं की नित क्षीण होती जाती रोशनी में 
अपने जीवन की राह खोजती हूँ ! 
बस जैसे कुछ और बाकी ही न रहा !   
लेकिन क्या हुआ बोलो तो ? 
मुझे उन तिथियों के सिवा 
अब कुछ याद नहीं ! 
और तुम ...... ? 
तुम्हें शायद 
उन तिथियों के अलावा 
बाकी सब कुछ याद रहा ! 
चित्र - गूगल से साभार 
साधना वैद

बहुत सुन्दर !
ReplyDeleteये न थी हमे क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होता ---
हार्दिक धन्यवाद गोपेश जी ! आभार आपका !
Deleteयाद है बस बरसों पहले
ReplyDeleteज़ेहन में खुदी एक तिथि
जिस दिन तुम्हें
आख़िरी बार देखा था
और याद है वह दूसरी तिथि
जिस दिन तुमने मुझसे
फिर मिलने का वचन दिया था !
वाह...समाज के एक वर्ग को एक आईना चिंतनयुक्त रचना।
साधुवाद। ।।।।
हार्दिक धन्यवाद पुरुषोत्तम जी ! बहुत बहुत आभार आपका !
Deleteमुझे उन तिथियों के सिवा
ReplyDeleteअब कुछ याद नहीं !
और तुम ...... ?
तुम्हें शायद
उन तिथियों के अलावा
बाकी सब कुछ याद रहा !
बहुत ख़ूबसूरत
दर्पण सदृश।
सादर।
इस ब्लॉग पर हृदय से स्वागत है आपका सधु जी ! आपका बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार !
Deleteबहुत सुन्दर।
ReplyDeleteगुरु नानक देव जयन्ती
और कार्तिक पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएँ।
आपको भी हार्दिक शुभकामनाएं शास्त्री जी ! आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी !
Deleteवेदना का निश्छल प्रकटीकरण। भूलनेवालों को कहाँ कुछ याद रहता है !
ReplyDeleteसुन्दर रचना - - नमन सह।
ReplyDeleteहृदय से बहुत बहुत धन्यवाद आपका शांतनु जी ! आभार !
Deleteहृदयस्पर्शी ।
ReplyDeleteस्वागत है अमृता जी ! दिल से बहुत बहुत आभार आपका !
Deleteभावपूर्ण रचना |मन को छू गई |
ReplyDeleteअरे वाह ! हृदय तल से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार जीजी !
Deleteहार्दिक धन्यवाद केडिया जी ! बहुत बहुत आभार आपका !
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