म्यूनिख शहर के
जहाँ बेहद खूबसूरत और रौनक भरे स्थानों की मैंने आपको सैर करवाई है तो वहीं
क्रूरता और अमानवीयता की सारी सीमाओं को तोड़ते हुए दुःख दर्द पीड़ा क्षोभ और बेबसी
की असंख्य कहानियों को अपने अंतर में समेटे हुए डकाऊ कंसंट्रेशन कैम्प की वीरान
गलियों में भी मैं आपको अपने साथ लेकर चली हूँ जहाँ से गुज़रते हुए मेरे साथ-साथ
आपका मन भी निश्चित रूप से गहन अवसाद एवं उदासी से भर गया होगा ! लेकिन जब घूमने
आये हैं तो इस उदासी को उतार फेंकना बहुत ज़रूरी है ! इसलिये आइये मेरे साथ चलते
हैं कुछ और दिलचस्प जगहों को देखने जहाँ की अद्भुत शिल्प कला और खूबसूरती हमारी
उदासी को पल भर में छूमन्तर कर देगी ! तो चलिये सबसे पहले चलते हैं पुराना टाउन
हॉल देखने !

Marienplatz के
पूर्व में स्थित मुख्य चौराहे पर पुराना टाउन हॉल Alte Rathaus स्थित है ! इसकी
नींव पन्द्रहवीं शताब्दी में सन् १४७० में पड़ी और तत्कालीन प्रचलित एवं लोकप्रिय
अद्भुत गोथिक शैली में यह खूबसूरत इमारत दस वर्ष में बन कर तैयार हुई ! इसके
सेन्ट्रल हॉल में मौरिस डांसर्स की बेहद खूबसूरत मूर्तियाँ बहुत ही खूबसूरत
नक्काशी के साथ दीवारों पर चारों तरफ उकेरी गयी हैं ! कालान्तर में रिनेंसा पीरियड
के दौरान और उसके बाद और भी कई बार समय की माँग के अनुरूप इसमें सुधार संशोधन
परिवर्तन परिवर्धन किये जाते रहे ! इस टाउन हॉल से सटी हुई ५५ मीटर ऊँची एक ऐतिहासिक
मीनार है जो म्यूनिख शहर की सुरक्षा की दृष्टि से १२ वीं शताब्दी में बनाई गयी थी
! इस मीनार पर ऊपर तक जाने की सुविधा है जहाँ से शहर का बड़ा ही नयनाभिराम दृश्य
दिखाई देता है ! पंद्रहवीं शताब्दी से लेकर उन्नीसवीं शताब्दी के उत्तरार्ध तक यह इमारत शहर के म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन के प्रमुख दफ्तर के रूप में इस्तेमाल होती रही ! सन् १८७७ में बढ़ते हुए यातायात को देखते हुए इसके ग्राउंड फ्लोर में जगह निकाल कर वाहनों के लिये व पैदल चलने वालों के लिये एक टनल नुमा रास्ता बनाया गया ! लेकिन द्वितीय विश्व युद्ध से पहले जब यह रास्ता भी नाकाफी लगने लगा तो अंतत: १९३४/३५ में ग्राउण्ड फ्लोर को पूरी तरह से खत्म कर आने व जाने के लिये दो टनल नुमा रास्ते बनाए गये ! द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान इस बिल्डिंग को बहुत नुक्सान पहुँचा था लेकिन युद्ध समाप्त होने के बाद इसके पुनर्निर्माण के समय बड़ी सूक्ष्मता से पंद्रहवीं शताब्दी के मौलिक डिजाइन का पूरी ईमानदारी के साथ अनुकरण किया गया और यह बेहद सुन्दर बिल्डिंग अपने अतीत की सम्पूर्ण भव्यता के साथ पुन: गर्व से सिर उठा कर खड़ी हो गयी ! आजकल इस इमारत में पर्यटकों के आकर्षण के लिये एक टॉय म्यूज़ियम भी है !

म्यूनिख में एक
विशिष्टता जो देखी वह यह थी कि टाउन हॉल के आस पास के एरिया में वाहनों का ट्रेफ़िक
ना के बराबर था ! पैदल घूमने में बहुत मज़ा आ रहा था ! आसपास खूबसूरत इमारतें और
सजे हुए बाज़ार थे ! मौसम ठंडा लेकिन खुशगवार था ! पैदल घूमते हुए ही हम लोग नए
टाउन हॉल Neue Rathaus पहुँच गये ! १९ वीं शताब्दी तक म्यूनिख शहर का इतना विकास
हुआ और इतनी आबादी बढ़ गयी कि पुराने टाउन हॉल में जगह कम पड़ने लगी और एक बड़े टाउन
हॉल की आवश्यकता शिद्दत से महसूस की जाने लगी जिसमें सभी सरकारी दफ्तरों के लिये
समुचित स्थान की व्यवस्था हो सके ! इसलिए सन् १८६७ में Marienplatz के उत्तर में पुराने
टाउन हॉल के पास ही इस नये टाउन हॉल को नवीन गोथिक शैली में बनाने का निर्णय लिया
गया ! सन् १८७४ तक यह भव्य इमारत बन कर तैयार हो गयी और इसमें नगरीय प्रशासन के
सभी कार्यालय, मेयर का दफ्तर, सिटी काउंसिल व नगर निगम के सभी प्रशासनिक
कार्यालयों को एक ही स्थान पर एकत्रित करने की सुविधा मिल गयी ! आज भी इस इमारत
में ये सभी कार्यालय पूर्ववत काम करते हैं ! मुझे सबसे अच्छी बात जो लगी वह यह थी
कि टाउन हॉल की नयी इमारत को बनाने के बाद भी पुराने टाउन हॉल की बिल्डिंग को नष्ट
नहीं किया गया और उसका बदस्तूर पहले की तरह ही रख रखाव किया गया ! नये टाउन हॉल
में नीचे की मंज़िल में कई व्यावसायिक संस्थान और अनेकों रेस्टोरेंट्स खुले हुए हैं
जहाँ हर वक्त खूब रौनक और चहल पहल रहती है !
नये टाउन हॉल का
सबसे अधिक दिलचस्प और आकर्षक फीचर है इसकी प्रमुख मीनार में दो मंज़िल वाला एक झरोखा
जिसे Glockenspiel कहते हैं ! यह विश्व का चौथा सबसे बड़ा इस किस्म का झरोखा है !
यहाँ प्रतिदिन दिन में ११ बजे, १२ बजे व शाम पाँच बजे मेकेनिकल आदमकद पुतलों की
सहायता से एक तरह की नृत्यनाटिका का मंचन किया जाता है जिसमें एक मंज़िल में Duke
Wilhem v की Lorraine की राजकुमारी Renata से सन् १५६७ में हुई शादी की कहानी
दिखाई जाती है और दूसरी मंज़िल में एक नृत्यनाटिका दिखाई जाती है जिसमें सन् १७८१
में देश में फ़ैलने वाले प्लेग की त्रासदी व उस कठिन समय में राजा के प्रति
देशवासियों की स्वामिभक्ति व समर्पण के कथानक पर आधारित कार्यक्रम को दिखाया जाता
है ! इस नाट्य प्रस्तुति के मंचन के लिये ४३ घंटियों व ३२ आदमकद पुतलों का
इस्तेमाल किया जाता है ! पर्यटकों के लिये यह शो विशिष्ट आकर्षण का केन्द्र होता है !
नये टाउन हॉल की
इमारत ९१५९ मीटर के विशाल भूभाग पर बनी है और इसमें ४०० कमरे हैं ! इसका सौ मीटर
लंबा वह प्रमुख हिस्सा जो Marienplatz की ओर पड़ता है बहुत ही खूबसूरत है और उसमें पत्थर
और लकड़ी पर की गयी नायाब नक्काशी पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर लेने की अद्भुत क्षमता
रखती है ! इमारत के सदर हिस्से में बेवेरियन राजघराने के ड्यूक्स, राजाओं,
राजकुमारों तथा राजवंश के अन्य सदस्यों की शानदार पारम्परिक छवियाँ बहुत ही सुन्दर
नक्काशी के साथ उकेरी गयी हैं ! खिड़कियों के काँच पर स्टेनग्लास पेंटिंग का बड़ा ही
महीन और खूबसूरत काम हो रहा है ! इस इमारत का पहले बना हुआ पूर्वी भाग ईंटों से
बनाया गया था ! १९७४ के बाद जब और जगह की आवश्यकता अनुभव की गयी तो इसी इमारत के
पश्चिमी भाग में नवनिर्माण कर और नये हिस्सों को जोड़ा गया जो कि लाइमस्टोन से
बनाये गये ! Glockenspiel इसी भवन की ७९ मीटर ऊँची मीनार में बना हुआ है जो कि इस भवन का सबसे खूबसूरत पार्ट
है !
सुबह नाश्ता कर
होटल से निकलने के बाद हम लोग लगातार घूम ही रहे थे ! काफी देर हो गयी थी ! भूख भी
लग आई थी ! सोचा पहले खाना खा लिया जाये उसके बाद ही म्यूज़ियम देखने अंदर जायें !
श्रेयस भी बहुत थक गया था और भूखा था ! एक अच्छे से रेस्टोरेंट की तलाश में हम लोग
बहुत भटके लेकिन नये वर्ष की वजह से सारे रेस्टोरेंट्स बंद थे ! बात कुछ बन नहीं
रही थी ! तभी एक ईरानी ग्रॉसरी स्टोर खुला मिल गया ! सोचा यहीं से खाने पीने का
सामान जैसे बिस्किट्स, चिप्स, ब्रेड, बटर, जैम आदि ले लिया जाये जिससे कुछ आधार तो
हो जाये ! स्टोर के मालिक से बात कर किसी रेस्टोरेंट के बारे में जानने की कोशिश
की तो भाषा की समस्या आड़े आ गयी ! लेकिन कुछ टूटी फूटी इंग्लिश और संकेतों की भाषा
से स्टोर के मालिक ने हमें एक पर्शियन रस्टोरेंट का पता बता दिया ! जो रेस्टोरेंट
उसने बताया वह अधिक दूर नहीं था और हम जल्दी ही वहाँ पहुँच गये ! भाषा की समस्या यहाँ
भी थी ! ना तो हमें जर्मन या फारसी आती थी ना उन्हें इंग्लिश या हिंदी ! मेनू
कार्ड भी जर्मन में था ! कुछ संकेतों की भाषा और कुछ नोटपैड पर चित्रकारी की
सहायता से मैनेजर को यह समझाने की कोशिश की गयी कि हमारे खाने में क्या चीज़ें होनी
चाहिये और क्या नहीं ! मैनेजर ने मुस्कुरा कर इशारे से हमें आश्वस्त किया और फिर
अपने हिसाब से उसने हमारी टेबिल पर कुछ व्यंजन भिजवाये ! वह खाना कितना लज़ीज़ और
ज़ायकेदार था उसे शब्दों में व्यक्त कर पाना असंभव है ! विदेश की ज़मीन पर बिलकुल
देशी स्वाद के चावल के इतने बढ़िया व्यंजन मिल जायेंगे इसकी तो कल्पना भी मैंने
नहीं की थी ! रेस्टोरेंट की साज सज्जा और वातावरण भी बहुत शांत और सुकून भरा था ! खाना
खाकर आत्मा तृप्त हो गयी !
Alte Pinakothek ( पुराना म्यूज़ियम ) अधिक दूर नहीं था ! हम लोग पैदल ही वहाँ के लिये चल पड़े
! जर्मनी की सड़कों पर एक से एक खूबसूरत टू सीटर बीटल मिनी कारें देखीं जो बिलकुल टॉय
कार जैसी लग रही थीं ! म्यूनिख के Kunstareal एरिया में तीन कला संग्रहालय स्थित
हैं ! Alte Pinakothek का नाम विश्व के प्राचीनतम कला संग्रहालयों में शुमार होता
है ! 
जहाँ यहाँ पुराने कलाकारों की एक से बढ़ कर एक खूबसूरत एवं क्लासिक पेंटिंग्स का संकलन है वहीं Neue Pinakothek में १९ वीं शताब्दी व उसके आगे के काल की पेंटिग्स व कलाकृतियाँ संकलित हैं ! Pinakothek der Moderne में मॉडर्न आर्ट की आधुनिकतम पेंटिग्स का संकलन देखने लायक है ! पुराने म्यूज़ियम में गैलरीज़ इस हिसाब से बनवाई गयी हैं कि उनमें रूबेन की ‘लास्ट जजमेंट’ जैसी पेंटिंग, जो कि आकार में अब तक की सबसे बड़ी पेंटिंग मानी जाती है, भी प्रदर्शन के लिये लगाई जा सकें ! इस संग्रहालय में एक से बढ़ कर एक खूबसूरत एवं क्लासिक पेंटिग्स देख कर मन मस्तिष्क ताज़गी से भर गया !
सड़क के दूसरी तरफ Neue Pinakothek नया म्यूज़ियम स्थित है ! हमने
इस म्यूज़ियम के भी पाँच बड़े-बड़े हॉल्स देखे ! दोनों
ही म्यूज़ियम्स देखने लायक थे ! एक से बढ़ कर एक कलाकृतियाँ और एंटीक पीसेज़ वहाँ
प्रदर्शन के लिये करीने से रखे हुए थे ! 
समय कम रह गया था ! जल्दी जल्दी आधुनिक म्यूज़ियम Pinakothek der Moderne का हमने बाहर से ही राउंड लिया ! शाम ढल चुकी थी ! रात ९ बजे की ट्रेन से हमें रोम के लिये रवाना होना था ! मेट्रो स्टेशन पहुँच कर लोकल ट्रेन से हम लोग अपने होटल पहुँचे ! सामान उठाया और स्टेशन की ओर रुख किया ! रात को बर्गर किंग में डिनर लिया ! वेटिंग रूम में कुछ देर आराम किया ! ट्रेन बिलकुल समय पर आ गयी थी ! हमारा अगला पड़ाव रोम था !
रोम के संस्मरणों के लिये थोड़ा सा इंतज़ार
करिये ! यात्रा अभी जारी है ! आशा है इस सफर में मेरे हमसफ़र बन कर आपको भी ज़रूर
मज़ा आ रहा होगा ! तो रोम पहुँचने तक के लिये नमस्कार !
साधना वैद





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